Surya Ko Jal Dene Ka Sahi Tarika: सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना गया है। ब्रह्मांड के अन्य सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है। इसी तरह यदि किसी व्यक्ति को जीवन में निरोगी काया, राजसी सुख, मान सम्मान और सरकारी पद जैसे सुख चाहिए तो उसे सूर्यदेव को प्रसन्न करना चाहिए। आपकी कुंडली में सूर्य की भूमिका ठीक उसी तरह की है, जैसे कि घर में सबसे बड़े मुखिया की होती है। दरअसल, सूर्यदेव ग्रहों के राजा होने के साथ आत्मा का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। नवग्रहों में सर्वप्रथम पूजा सूर्यदेव की ही होती है। सूर्य के बिना कोई भी ग्रह अपना फल देने में असमर्थ होता है। कुंडली में सूर्य की स्तिथि मजबूत होना आवश्यक होता है। सूर्य की मजबूत स्तिथि प्राप्त करने के लिए जातकों को सूर्योदय से पूर्व सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। जानते है इसका सही तरीका।
सूर्यदेव को अर्घ्य देने का तरीका
(Surya Arghya Dene Ka Tarika)
- सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए तांबे के पात्र का प्रयोग करें। इसके पश्चात दोनों हाथों से पात्र को पकड़कर सिर से ऊपर हाथ ले जाकर अर्घ्य देवें। ध्यान रखें जल की धारा इस तरह रहे की उसके बीच से सूर्यदेव के दर्शन हो सके। अर्घ्य देने के लिए तांबे का पात्र में कम से कम एक या आधे लीटर का होना चाहिए।
- सूर्यदेव को अर्घ्य देते वक्त आपको यह ध्यान रखना आवश्यक है कि, जल बहकर नाली या किसी गंदी जगह पर न जाएं। साथ ही न इसके छींटे आपके पैरों पर पड़े, यह भी ध्यान रखें। आप अर्घ्य के जल के लिए साफ सुथरा बर्तन या गमला रख लें, उचित होगा। लेकिन यह गमला तुलसी का न हो, ध्यान रखें।
- अर्घ्य देते समय “ऊँ नमो नारायणाय मंत्र”, ऊँ भास्कराय नमः या गायत्री मंत्र का जप 108 बार और कम से कम 28 बार या 10 बार अवश्य करें।
सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे की वजह
(Surya Arghya Dene Ki Vjha)
सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें नियमित रूप से प्रणाम करें और जल अर्पित करें। नियमित तौर पर आदरपूर्वक तथा नियम से प्रतिदिन भगवान सूर्य की आराधना करने वाले जातकों को जीवन में सुबह फलों की प्राप्ति होती है। सूर्यदेव के पधारते ही उनकी लालिमा को देखते हुए जल अर्पित करें।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।