King of Indian Roads: पिछले कुछ सालों में भारतीय ऑटो इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। CNG से हाइब्रिड और फिर इलेक्ट्रिक, इस सेक्टर में गाड़ियों के अलग-अलग वेरिएंट्स की भरमार है। इसी बीच कुछ गाड़ियां कभी अपनी महत्ता नहीं खोती हैं और आइकॉनिक एम्बेसेडर कार भी उनमें से एक है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसे बनाने वाली हिन्दुस्तान मोटर्स एम्बेसडर को आधुनिक फीचर्स के साथ भारत में दोबारा पेश कर सकती है। जानिए कैसे रहा है एम्बेसडर का इतिहास...
1) इतिहास और विरासत:
भारत में एम्बेसेडर कार का सफर 1948 में शुरू हुआ था, जब इसे भारत में पेश किया गया। इसका मॉडल Morris Oxford series III पर बेस्ड था, जो ब्रिटिश कंपनी Morris Motors Limited द्वारा डेवलप की गई थी। बाद में इसके प्रोडक्शन राइट हिन्दुस्तान मोटर्स ने खरीद लिए और इसका प्रोडक्शन पश्चिम बंगाल में कोलकाता के पास होने लगा। यह गाड़ी ज्यादातर ब्रिटिश नागरिकों की पहली पसंद थी, लेकिन धीरे-धीरे इसे भारत में भी आत्मनिर्भरता का प्रतीक माना जाने लगा।
2) एम्बेसडर की लोकप्रियता:
भारत में वक्त गुजरने के साथ एम्बेसेडर कार की लोकप्रियता बढ़ती चली गई, खासकर 90 के दशक में। इसके शानदार डिज़ाइन, बॉक्सी लुक और आकर्षक शैली ने लोगों को इसकी ओर आकर्षित किया। एक समय यह देश में नेताओं और सेलिब्रिटीज के लिए स्टेटस सिंबल बन चुकी थी। इसे किंग ऑफ इंडियन रोड्स भी कहा जाने लगा था।
3) कीमत, इंजन और पॉवर:
एम्बेसेडर कार की कीमत 4.21 लाख रुपए से 6.40 लाख रुपए के बीच थी और इसके 24 से अधिक वेरिएंट उपलब्ध थे। यह गाड़ी 1.5-लीटर डीजल इंजन से चलती थी, जो कि 35 बीएचपी की पॉवर जनरेट करता था।
4) एम्बेसडर का डिज़ाइन:
भारतीय सड़कों का राजा कही जाने वाली एम्बेसेडर की डिज़ाइन में बॉक्सी आकृति, बड़ी ग्रिल्स, और बॉनट पर सही स्क्रेच आदि होती थी।
5) एम्बेसडर का प्रोडक्शन:
तकनीकी विकास के साथ देश में उन्नत वाहनों की मांग बढ़ने लगी और एम्बेसेडर कार का चलन धीरे-धीरे घटने लगा था। कंपनी ने 2024 में इसका प्रोडक्शन पूरी तरह से बंद कर दिया था। इसके बावजूद कुछ कार लवर्स अभी भी इन कारों को अपनी विंटेज गाड़ियों में एम्बेसडर को संजोकर रखे हुए हैं।
(मंजू कुमारी)