Success Story: 'पैसा जरूरी है, लेकिन असली खुशी का मतलब अपने समय और जीवन पर कंट्रोल पाना है।' यह मैसेज है बेंगलुरु के परंतप चौधरी (Parantap Chowdhury) का, जिन्होंने हाई सैलरी वाली कॉर्पोरेट नौकरी को छोड़कर अपनी अलग पहचान बनाई। आज वे प्रोफेसनल्स को 'सेल्स' में विशेषज्ञता के गुर सिखाकर सफलता की नई इबारत रच रहे हैं। 54 लाख रुपए सालाना पैकेज की नौकरी छोड़ने और खुद का बिजनेस शुरू करके चौधरी इन दिनों देश-दुनिया के हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं।

आखिर क्यों लिया नौकरी छोड़ने का फैसला? 
परंतप चौधरी ने छह महीने पहले स्क्वायर यार्ड्स में असिस्टेंट वाइस प्रेसीडेंट के पद से इस्तीफा दिया था। 32 वर्षीय चौधरी का यहां पर पैकेज 54 लाख रुपए सालाना था। लेकिन ओवरवर्क और बर्नआउट ने उन्हें ब्रेक लेने पर मजबूर कर दिया। कुछ हफ्तों के ब्रेक के बाद उन्होंने लिंक्डइन पर अपने अनुभव साझा किए और यह पोस्ट तेजी से वायरल हो गई। इसके बाद उन्होंने 'सेल्स सिखाने' के अपने कौशल को बिजनेस में बदलने का फैसला कर लिया। मकसद है उन व्यक्तियों और कंपनियों को गाइडेंस देना, जो अपनी सेल्स स्ट्रैटजी को सुधारना चाहते हैं।

बिजनेस मॉडल और स्ट्रैटजी 
चौधरी का बिजनेस मॉडल तीन प्रमुख सर्विसेस पर आधारित है: व्यक्तिगत सेल्स कोचिंग, कंपनियों के लिए सेल्स ट्रेनिंग और बिजनेस कंसल्टिंग। 
वह अपने 'सेल्स एक्सेलेरेटर प्रोग्राम' के तहत 1:1 लाइव कोचिंग प्रोवाइड करते हैं, जो छह वीक की होती है। इससे प्रतिभागियों में सेल्स की बुनियादी समझ विकसित होती है। कोई विज्ञापन (एड) न चलाने के बावजूद चौधरी अपने सभी क्लाइंट्स लिंक्डइन और रेफरल के जरिए पाते हैं। उन्होंने बताया कि 'मेरे 80% बिजनेस लिंक्डइन से आता है। बाकी रेफरल से।' 6000 रुपए प्रति घंटे की फीस पर उनका बिजनेस मॉडल काफी मुनाफेदार है। वह अकेले ही मार्केटिंग, कंटेंट क्रिएशन और कोर्स डिजाइन संभालते हैं, जिससे उनका ऑपरेटिंग खर्च बहुत कम है।

ग्राहकों का चयन और कामयाबी
चौधरी अपने ग्राहकों को बड़ी सतर्कता से चुनते हैं। कहते हैं, 'मैं केवल उन लोगों के साथ काम करता हूं, जो सही मायने में सीखने के इच्छुक हों। यह कम ग्राहक लेकिन बेहतर रिव्यू की ओर ले जाता है।' नवंबर के लिए उनके 1:1 कोचिंग स्लॉट्स पहले ही बुक हो चुके हैं। परंतप चौधरी का मानना है कि लिंक्डइन पर लगातार वैल्यू एड से यह संभव हो पाया है। 

क्या है भविष्य की योजनाएं? 
प्रोफेशनल्स को तेजी से स्केल करने के बजाय चौधरी का लक्ष्य है टिकाऊ विकास (सस्टेनेबल डेवलपमेंट)। वह विज्ञापन के जरिए बिजनेस बढ़ाने के बजाय सही क्लाइंट्स के साथ काम करने में विश्वास करते हैं। कहते हैं कि बिजनेस में सिस्टम का महत्व, बड़े लक्ष्यों से अधिक होता है। उनका मकसद एक ऐसा डिजिटल बिजनेस तैयार करना है जो मुनाफेदार और लचीला हो।

कैसा रहा पिछला कॉर्पोरेट अनुभव? 
कोलकाता के रहने वाले चौधरी ने 7 साल तक स्क्वायर यार्ड्स और बायजूस जैसी कंपनियों में हायर पोस्ट पर काम किया। हालांकि, 70+ घंटे के काम और खुद के लिए टाइम की कमी ने उन्हें अपनी प्राथमिकताएं बदलने पर मजबूर कर दिया। परंतप चौधरी कहते हैं- 'मैंने ऐसी नौकरी छोड़ी, जो मेरी जिंदगी खत्म कर रही थी। आज मैंने ऐसा बिजनेस खड़ा किया है, जो आजादी, संतोष और प्रगति देता है।'

बर्नआउट का सामना करने वालों के लिए प्रेरणा
काबिलियत के दम पर स्व उद्यमी बनने की चौधरी की यह कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपने करियर में ठहराव या बर्नआउट का सामना कर रहे हैं। परंतप चौधरी कहते हैं कि अगर मैं नौकरी नहीं छोड़ता तो 90 दिन में 9.81 लाख रुपए कमा लेता, लेकिन इन तीन महीनों में जिंदगी के पिछले 3 साल के बराबर जिया हूं। उनका मैसेज है- 'पैसा जरूरी है, लेकिन असली खुशी का मतलब अपने समय और जीवन पर कंट्रोल पाना है।'