PM-AASHA Scheme: केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) योजना को 35 हजार करोड़ रुपए के वित्तीय आवंटन के साथ मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों के लिए उचित मूल्य प्रदान करना और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में अस्थिरता को नियंत्रित करना है। इसके साथ ही पोषक तत्व आधारित सब्सिडी योजना को भी 24475 करोड़ रुपए के बजट के साथ मंजूरी मिली है।

मोदी-शिवराज ने मीटिंग में लिया बड़ा फैसला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला लिया गया। बैठक में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे। PM-AASHA योजना का विस्तार 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान 2025-26 तक जारी रहेगा, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी फसल के लिए उचित मूल्य दिलाना और उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता बनाए रखना है।

पीएम-आशा योजना में क्या प्रावधान?
PM-AASHA योजना के तहत मौजूदा मूल्य समर्थन योजना (PSS) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF) जैसी योजनाओं को इंटीग्रेट किया गया है, जिससे योजना का क्रियान्वयन अधिक प्रभावी हो सके। इस योजना के अंतर्गत मूल्य अंतर भुगतान योजना (PDPS) और बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) भी शामिल हैं।

MSP और खरीद के लिए प्रावधान

  • 2024-25 के सीजन से PSS के तहत तिलहन, दालें और नारियल जैसी नोटिफाई की गई फसलों के राष्ट्रीय उत्पादन का 25% तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदा जाएगा। खास तौर पर 2024-25 के लिए तूर, उड़द और मसूर की 100% खरीद होगी। यह खरीद eSamridhi और eSamyukti पोर्टल पर पूर्व रजिस्टर्ड किसानों से की जाएगी।
  • केंद्र सरकार ने MSP पर इन फसलों की अधिकतम खरीद के लिए 45,000 करोड़ रुपए की गारंटी प्रदान की है, जिससे तिलहन और दालों की खेती को बढ़ावा मिलेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी।

TOP फसलों के लिए विशेष प्रावधान
टमाटर, प्याज और आलू (TOP) फसलों के लिए सरकार परिवहन और भंडारण लागत वहन करेगी, ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके और उपभोक्ताओं को कीमत स्थिर रहे।

MSP और मूल्य का 15% अंतर भरेगी सरकार
तेलहन फसलों के लिए PDPS योजना का कवरेज 25% से बढ़ाकर 40% किया गया है। साथ ही, योजना की अवधि को 3 महीने से बढ़ाकर 4 महीने किया गया है। केंद्र सरकार MSP और बाजार मूल्य के बीच के अंतर का 15% तक भुगतान करेगी। इस फैसले से न केवल किसानों को बाजार की अस्थिरता से बचाया जा सकेगा, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी स्थिरता बनी रहेगी।