Emission Breach: केंद्र सरकार ने हुंडई, महिंद्रा और किआ समेत 8 ऑटोमोबाइल कंपनियों पर वित्त वर्ष 2022-23 के लिए फ्लीट उत्सर्जन मानकों का उल्लंघन करने पर 7300 करोड़ रुपए का भारी जुर्माना लगाया है। हुंडई मोटर्स पर 2,800 करोड़ रुपए से ज्यादा का जुर्माना लगा है। इसके बाद महिंद्रा एंड महिंद्रा पर करीब 1,800 करोड़ रुपए और किआ मोटर्स पर 1,300 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगी है। अन्य कंपनियों में होंडा, रेनो, स्कोडा, निसान, और फोर्स मोटर्स शामिल हैं। यह जानकारी एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में सामने आई है। 

भारत में सख्त हुए CAFE मानदंड
2022-23 में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) ने कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी (CAFE) के नियम कड़े किए। इन नियमों के तहत गाड़ियों की ईंधन खपत दर 4.78 लीटर प्रति 100 किलोमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। कार्बन डाइऑक्साइड (Co2) का उत्सर्जन 113 ग्राम प्रति किलोमीटर तक सीमित होना चाहिए। हालांकि, इन नियमों पर कंपनियों और सरकार के बीच मतभेद हैं। कंपनियों का कहना है कि नया जुर्माना ढांचा 1 जनवरी 2023 से लागू हुआ है, ऐसे में पूरे वित्त वर्ष पर इसे लागू करना उचित नहीं है।

कैसे हुई इस जुर्माने की गणना?
वित्त वर्ष 2022-23 में 18 कंपनियों के व्हीकल्स का टेस्ट हुआ। बेचे गए उन वाहनों की संख्या के आधार पर जुर्माना लगाया गया, जो मानकों पर खरे नहीं उतरे। 2021-22 की रिपोर्ट में सभी कंपनियों ने नियमों का पालन किया था, लेकिन 2022-23 की रिपोर्ट अभी प्रकाशित नहीं हुई है।

CAFE नियमों का उद्देश्य
2017 में शुरू हुए CAFE नियमों का उद्देश्य वाहनों में होने वाले ईंधन खपत और कार्बन उत्सर्जन को कम करना है। यह नियम पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, एलपीजी, हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों पर लागू होते हैं। इनका उद्देश्य ज्यादा पर्यावरण-अनुकूल और ऊर्जा-कुशल व्हीकल्स के प्रोडक्शन को बढ़ावा देना है। संशोधित नियमों के अनुसार, उल्लंघन करने वाले वाहनों पर 25,000 से 50,000 रुपए प्रति वाहन का जुर्माना तय किया गया है।

डेटा जमा करने की प्रक्रिया
वाहन निर्माताओं को हर साल 31 मई तक अंतरराष्ट्रीय ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी केंद्र (ICAT) को डेटा जमा करना होता है। इसके बाद ICAT यह डेटा सड़क परिवहन मंत्रालय और पावर मंत्रालय को 31 अगस्त तक भेजता है।

क्या होगा कार्रवाई का असर?
यह जुर्माना ऑटोमोबाइल उद्योग पर दबाव बढ़ाएगा और निर्माताओं को पर्यावरणीय मानकों का सख्ती से पालन करने के लिए प्रेरित करेगा। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इन मुद्दों को सुलझाने के लिए सरकार और कंपनियों के बीच बेहतर संवाद की जरूरत है।