Indias Financialization: भारत वैश्विक आर्थिक वृद्धि को लेकर मजबूत स्थिति में है, लेकिन 2047 तक यानी विकसित भारत की दिशा में बढ़ते हुए देश को वित्तीयकरण (Financialization) के जोखिमों से सावधान रहना पड़ेगा। यह बात मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को मुंबई में कही। नागेश्वरन ने बड़े वित्तीय बाजारों के पब्लिक पॉलिसी और फाइनेंशियल रिजल्ट पर प्रभाव के जोखिमों को उजागर किया और इस प्रवृत्ति से बचने की सलाह दी।

GDP के 140% के बराबर है मार्केट कैपिटलाइजेशन
मौजूदा वक्त में इंडियन स्टॉक मार्केट का कैपिटलाइजेशन देश की GDP के करीब 140% के बराबर है। नागेश्वरन ने कहा कि फाइनेंशियल सेक्टर में बढ़ते लाभ और मार्केट कैपिटलाइजेशन के हाई लेवल की गंभीरता से निगरानी की जरूरत है। उन्होंने चेताया कि जब कोई बाजार (शेयर बाजार) देश की अर्थव्यवस्था से बड़ा हो जाता है, तो यह स्वाभाविक होता है कि बाजार की चिंताएं सार्वजनिक चर्चा और नीति पर असर डालें।

'संपत्ति से आर्थिक वृद्धि और बढ़ती असमानता के जाल से बचें'
नागेश्वरन ने फाइनेंशिलाइजेशन को वित्तीय बाजारों की सार्वजनिक नीति और मैक्रोइकोनॉमिक रिजल्ट्स पर प्रबलता के तौर पर परिभाषित किया। उन्होंने विकसित देशों के अनुभवों का हवाला देते हुए कहा कि वित्तीयकरण ने अभूतपूर्व सार्वजनिक और पर्सनल लोन लेवल, संपत्ति की कीमतों पर निर्भर आर्थिक वृद्धि और बढ़ती असमानता को जन्म दिया है। उन्होंने भारत को इन परिणामों से सतर्क रहने की सलाह दी और इस जाल से बचने की चेतावनी दी।

'आर्थिक प्राथमिकताओं और निवेशक हितों के बीच बैलेंस हो' 
नागेश्वरन ने कहा कि जैसे भारत लोअल मिडिल क्लास में प्रवेश कर रहा है, देश को विकसित अर्थव्यवस्थाओं के जैसे वित्तीयकरण और इसके प्रभावों को सहन नहीं करना चाहिए। उन्होंने ग्लोबल कैपिटल फ्लो की अस्थिरता से बचाने के लिए पॉलिसी फ्रीडम बनाए रखने की जरूरत पर बल दिया। नागेश्वरन ने राष्ट्रीय आर्थिक प्राथमिकताओं और निवेशक हितों के बीच संतुलन की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने भारत को ग्लोबल एजेंडा सेटिंग में सक्रिय भूमिका निभाने की सलाह दी। 

लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए विवेकपूर्ण फैसले लेना जरूरी 
उन्होंने कहा, "आर्थिक आकार और प्रभाव हमारे वैश्विक एजेंडा सेटिंग की क्षमता को प्रभावित करेंगे, जो हमारे आर्थिक प्रदर्शन को भी प्रभावित करेगा।" नागेश्वरन ने अपनी बातों का निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि भारत की उज्ज्वल आर्थिक संभावनाएँ देश के भविष्य को आकार देने का अवसर प्रदान करती हैं, लेकिन स्थिरता और लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए विवेकपूर्ण फैसले लेना जरूरी है।