Retail Inflation Poll: देश में खुदरा महंगाई (CPI) अक्टूबर में 14 महीने के उच्च स्तर 5.81% पर पहुंचने का अनुमान है। इसकी बड़ी वजह खाद्य वस्तुओं खासकर सब्जियों और कुकिंग ऑयल की कीमतें आसमान पर पहुंचना है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के एक सर्वे के मुताबिक, अनियमित बारिश के चलते भारत के अलग-अलग इलाकों में फसलों के उत्पादन पर असर पड़ा है, जिससे खासकर टमाटर की कीमतों में दो अंकों (डबल डिजिट) की बढ़ोतरी देखी गई।

इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने से खाद्य तेल कीमतें बढ़ीं, किचन का बजट बिगड़ा  

  • इसके अलावा केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों (Edible Oil) पर इंपोर्ट ड्यूटी में 20% की बढ़ोतरी की है, जिससे महंगाई में इजाफा हुआ और लोगों के किचन के बजट पर बोझ बढ़ा है। रायटर्स ने महंगाई को लेकर नबंवर के शुरुआती हफ्ते में प्रतिष्ठित 52 अर्थशास्त्रियों से उनकी राय ली और मुद्रास्फीति को लेकर औसत पूर्वानुमान जारी किया है।
  • इसके मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) द्वारा मापी गई वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति (Annual Retail Inflation) अक्टूबर में लगातार दूसरे महीने बढ़कर 5.81 प्रतिशत हो सकती है, जो अगस्त 2023 के बाद सबसे अधिक है। सितंबर में यह बढ़कर 5.49 प्रतिशत हो गई, जो पूर्वानुमान से कहीं ज्यादा थी।

महंगाई को लेकर क्या है अर्थशास्त्रियों की राय?
बैंक ऑफ बड़ौदा के इकोनॉमिस्ट दीपानविता मजूमदार ने कहा- ''टमाटर और खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी से साफतौर पर प्राइस प्रेशर नजर आ रहा है। पहले के लिए बाजार में टमाटर की कम आवक सितंबर में हुई बेमौसम बारिश के असर के कारण थी। जबकि कुकिंग ऑयल में तेजी के लिए आयातित मुद्रास्फीति जिम्मेदार दिखाई दे रही है। आगे बढ़ते हुए जलवायु जोखिमों की बढ़ती तीव्रता, मजबूत डॉलर के मुकाबले कमजोर रुपया और भू-राजनीतिक जोखिम मुद्रास्फीति के लिए और ज्यादा जोखिम पैदा कर सकते हैं।" वहीं, कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री सुवोदीप रक्षित ने कहा कि अगर आप आरबीआई के विकास के पूर्वानुमान को देखें, तो बहुत कम कारण है कि विकास को समर्थन की जरूरत है।

त्योहारों में ज्यादा डिमांड और गोल्ड प्राइस से महंगाई प्रभावित
मुख्य महंगाई दर, जिसमें खाद्य और ऊर्जा जैसे अस्थिर वस्तुएं शामिल नहीं हैं, अक्टूबर में करीब 3.6% तक बढ़ने का अनुमान है। विशेषज्ञों के मुताबिक, त्योहारी सीजन में बढ़ती मांग और सोने की कीमतों में बढ़ोतरी ने भी महंगाई दर को प्रभावित किया है। हालांकि महंगाई दर रिजर्व बैंक (RBI) के 2% से 6% के लक्ष्य सीमा के भीतर है, लेकिन ऊपरी सीमा के करीब होने से आगामी ब्याज दर कटौती में देरी हो सकती है। पहले जहां दिसंबर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की उम्मीद थी, अब कई अर्थशास्त्री इसके 2025 की शुरुआत तक टलने की संभावना जता रहे हैं।

RBI की ब्याज दर में कटौती की उम्मीदें कम: सर्वे
आरबीआई के गवर्नर ने हाल ही में महंगाई के जोखिमों पर चिंता जताई है और इस वित्तीय वर्ष के लिए 7.2% की विकास दर का अनुमान लगाया गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को मुद्रास्फीति के बढ़ते जोखिमों पर प्रकाश डाला, जिससे दर में कटौती की तत्काल उम्मीदें कम हो गईं। एक अलग रॉयटर्स पोल में मामूली बहुमत से उम्मीद की गई कि आरबीआई दिसंबर में अपनी प्रमुख रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर 6.25 प्रतिशत कर देगा। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी उच्च विकास दर के अनुमान के साथ ब्याज दरों में तत्काल कटौती की जरूरत कम है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर भी अक्टूबर में 2.2% तक पहुंचने का अनुमान है, जो सितंबर में 1.84% थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद बीते गुरुवार को रुपया अब तक के सबसे कमजोर स्तर पर पहुंच गया। कुल मिलाकर मजबूत डॉलर और रुपए पर नीचे की ओर दबाव, मुद्रास्फीति को तेजी से कम होने से रोकने वाली एक बाधा हो सकती है।