Satta King: भारत समेत दुनियाभर में अलग-अलग तरह का सट्टा बाजार संचालित हो रहा है। हर दिन करोड़ों लोग इन गेम्स में पैसे लगाकर भाग्य आजमाते हैं, लेकिन इनमें जीत की कोई गारंटी नहीं होती है। कई बार आपका लक काम करता है तो कई बार पैसे गंवाने भी पड़ते हैं। आजकल डिजिटल दुनिया में ऑनलाइन सट्टा गेम्स का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है, जिनमें आपसे पैसे लगवाकर खेल खिलाया जाता है। इसी प्रकार 00 से लेकर 100 तक के नंबर को लेकर भी एक गेम है, जिसे आमतौर पर सट्टा या मटका के नाम से जाना जाता है। सोशल मीडिया और गूगल ट्रेडिंग में भी सट्टा किंग टॉप पर बना रहता है। विस्तार से जानिए... 

1. सट्टा क्या है और कब शुरू हुआ?

  • सट्टा (Speculation) एक तरह का जुआ है, जो 1960 के दशक में बॉम्बे (मुम्बई) से शुरू हुआ था। जैसे- आमतौर पर क्रिकेट मैचों पर लोग एक दूसरे के साथ पैसों की शर्त लगाते है। अगर अनुमान सटीक बैठा तो आप लगाए गए पैसे जीत जाते हैं। सट्टा नंबर भी मिनी लॉटरी की तरह बिल्कुल ऐसा ही है। 
  • क्रिकेट मैचों पर पैसे लगाने पर आपके जीतने हारने की संभावना 50:50 होती है, लेकिन सट्टा खेल में 100 नंबर होते हैं 00 से लेकर 100 तक अंक होते हैं। हर दिन अलग-अलग शहरों के लिए तय समय पर यह नंबर निकाले जाते हैं। अगर नंबर्स आया तो आपको पैसे मिलेंगे, नहीं तो रकम गई। 

2. जीतने पर मिलती है 90 गुना रकम!
सट्टा गेम में शामिल होने के लिए आपको अनुमान लगाना होता है कि आज का परिणाम क्या होगा। यानी आज इन 100 नंबरों में से कौन सा नंबर आएगा, जिस पर आपने दांव लगाया है। मान लीजिए कि सोमवार को 22 अंक, मंगलवार को 33 अंक आ चुका है। आज बुधवार है तो अनुमान के मुताबिक 44 अंक आएगा। अगर आपने इस नंबर पर 10 रुपए लगाए हैं और रिजल्ट में 44 नंबर आ जाता है तो आपको 900 रुपए मिलेंगे। यानी 90 गुना रकम मिलेगी। ऐसे में आपके जीतने-हारने का संभावना 1:99 होती है।

3. सट्टा किंग क्या है?
ऑनलाइन दुनिया में सट्टा किंग हमेशा ट्रेंड में रहता है। सट्टा किंग उसे बोला जाता है जो सट्टा का नंबर खोलता है। सट्टा बाजार में अलग-अलग कंपनियां हैं, इनके सरगना को सट्टा किंग कहा जाता है। हर कंपनी के सट्टा के नंबर खुलने का समय अलग होता है। जैसे- कल्याण सट्टा बाजार शाम 4 बजे और मुंबई बाजार रात 9 बजे खुलेगा। इन नंबर्स को खोलने वाले को 'सट्टा किंग' कहा जाता है। और जो एजेंट इन नंबर्स की बुकिंग करते हैं या सट्टा उतारते (लिखते) हैं, उन्हें पंटर कहा जाता है।

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4. देश में सट्टेबाजी गैर-कानूनी है? 
भारत में सट्टा या जुआ खेलना और खिलाना दोनों ही गैर-कानूनी (Illegal) है। इसके बावजूद आजकल यह ऑनलाइन (Online) बड़े पैमाने पर संचालित हो रहा है। सट्टा खेलने में जोखिम ज्यादा होता है, लेकिन जल्दी आमीर बनने के लालच में लोग इसके जाल में फंसते चले जाते हैं। सट्टा खेलने वाले अमीर तो कम लेकिन रातों-रात गरीब जरूर हो सकते हैं।

(Disclaimer: देश में सट्टेबाजी गैर-कानूनी है। इसमें जीत-हार की कोई गारंटी नहीं होती है। सट्टा किंग में पैसे लगाना जोखिमों के अधीन है। ऐसे में किसी भी प्रकार के सट्टा या जुआ में रकम लगाने से पहले अपने विवेक का इस्तेमाल करें। उपरोक्त लेख केवल जानकारी के लिए है, हरिभूमि डिजिटल किसी भी प्रकार की सट्टेबाजी को प्रमोट नहीं करता है)