Bollywood Block Buster Movie: 70 के दशक को 'हिंदी सिनेमा का 'स्वर्ण युग' कहा जाता है। उन दिनों बॉलीवुड ने कई ऐसी फिल्में दीं, जो बाद में क्लासिक बन गईं। 70 के दशक में फैमिली ड्रामा से लेकर मसाला और कॉमेडी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर राज किया। आज हम आपको एक ऐसी क्लासिक फिल्म के बारे में बताते हैं, जिसे 40 दिनों में शूट किया गया था और फिर फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया था।

45 साल पहले एक ऐसी फिल्म आई थी, जिसे ना सिर्फ दर्शकों ने पसंद किया बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी छप्परफाड़ कमाई की थी। दिलचस्प बात ये है कि डायरेक्टर को एक बंगाली फिल्म देखने के दौरान इस फिल्म को बनाने का आइडिया आया था। गौर करने वाली बात ये है कि उस वक्त वह डायरेक्टर डिप्रेशन से जूझ रहे थे। रिलीज के बाद ये फिल्म कल्ट क्लासिक साबित हुई। हम जिस मूवी का बात कर रहे हैं उसका नाम है 'गोल माल।'

1 करोड़ रुपए के बजट में बनी थी फिल्म
साल 1979 में रिलीज हुई फिल्म गोल माल में अमोल पालेकर, बिंदिया गोस्वामी, उत्पल दत्त और देवेन वर्मा जैसे सितारों ने अहम भूमिका निभाई थी। इसका फिल्म का डायरेक्शन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया था। राही मासूम रजा और सचिन भौमिक ने मिलकर फिल्म की कहानी लिखी थी।

Scene From Movie- Gol Maal (1979)

दिलचस्प बात ये है कि ऋषिकेश मुखर्जी ने सिर्फ 40 दिनों में फिल्म की शूटिंग कंप्लीट कर ली थी। उन्होंने खुलासा किया था कि 'गोल माल' के कुछ सीन्स को छोड़कर पूरी फिल्म बांद्रा स्थित उनके बंगले 'अनुपमा' में शूट की गई थी। अमोल पालेकर, उत्पल दत्त और बिंदिया गोस्वामी की फिल्म 'गोल माल' को बनाने में 1 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

गोल माल ने दरश्कों को खूब हंसाया
ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी 'गोल माल' की कहानी राम प्रसाद शर्मा (अमोल पालेकर) के इर्द गिर्द घूमती है, जो अपनी नौकरी को बचाने के लिए सिर्फ एक झूठ बोलता है। उसके बाद स्थिति ऐसी बन जाती है कि उस एक झूठ को छुपाने के लिए उसे कई झूठ बोलने पड़ते हैं।

बॉलीवुड हंगामा की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऋषिकेश मुखर्जी ने अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म 'अलाप' बनाई थी, जिसे क्रिटिक्स ने खूब सराहा था, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर फिल्म पिट गई थी।

 

ऋषि ऋषिकेश मुखर्जी ने कहा, "मैं पूरी तरह टूट गया था और कई महीनों तक डिप्रेशन से जूझाता रहा। इससे बाहर निकलने के लिए मैंने एक कॉमेडी मूवी बनाने का फैसला किया।" ऋषिकेश मुखर्जी ने आगे बताया कि अपने खराब दिनों के दौरान उन्होंने 'कांचा मीठा' (खट्टा और मीठा) नाम की एक बांग्ला फिल्म देखी थी, जिसमें हीरो कहानियां गढ़ता था और एक झूठ को छुपाने के लिए कई कहानियां बनाता है।