Yogasana For Eyes: आंखें हमारे शरीर का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है। अगर उनमें थोड़ी भी गड़बड़ी हो तो दुनिया की सारी रंगीनियत ही खत्म हो जाती है। उम्र बढ़ने के साथ आंखों का कमजोर हो जाना सामान्य बात है। कई बार किसी बीमारी या दुर्घटना की वजह से भी ऐसा हो सकता है। आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए योगासन एक बेहतरीन उपाय है। कुछ योगासनों का नियमित अभ्यास करने से आंखों की कमजोर रोशनी को सुधारा जा सकता है। 

सही लाइफस्टाइल और खान-पान अपनाने के बाद अगर इन 3 योगासनों को नियमित किया जाए तो आपकी आंखों की रोशनी को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। आइए जानते हैं इन आसनों के बारे में। 

3 योगासनों से आंखों को होगा फायदा

हलासन 
पीठ के बल लेट जाएं। अपने पैरों को सीधा रखें और हाथों को अपने शरीर के बगल में रखें। धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने पैरों को ऊपर उठाएं। उन्हें 90 डिग्री के कोण तक लाएं। अपनी सांस छोड़ते हुए अपने कूल्हों को ज़मीन से ऊपर उठाएं। ऐसा करते हुए, अपने पैरों को सिर के पीछे ज़मीन पर टिकाने का प्रयास करें। अपने हाथों को अपने कूल्हों या पैरों के पीछे ज़मीन पर रखें। अपनी पीठ को सीधा रखने का प्रयास करें।

इस स्थिति में कुछ देर तक रुकें। अपनी सांस पर ध्यान दें और धीरे-धीरे और गहरी सांस लें। धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने पैरों को वापस ज़मीन पर लाएं। कुछ देर के लिए शवासन (शव मुद्रा) में आराम करें।

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पश्चिमोत्तासन
दंडासन (दंड मुद्रा) में बैठ जाएं। अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और अपनी सांस पर ध्यान दें। धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपने शरीर को आगे की ओर झुकाना शुरू करें। अपनी रीढ़ की हड्डी को जितना हो सके सीधा रखने का प्रयास करें। अपने हाथों को अपने पैरों की ओर बढ़ाएं। यदि संभव हो तो, अपने पैरों के अंगूठे को पकड़ने का प्रयास करें।

अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस स्थिति में कुछ देर तक रुकें। धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपनी रीढ़ को सीधा करते हुए वापस दंडासन में आ जाएं। कुछ देर के लिए शवासन में आराम करें।

सर्वांगासन
शवासन (शव मुद्रा) में लेट जाएं। अपनी आँखें बंद करें और कुछ देर के लिए अपनी सांस पर ध्यान दें। धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने पैरों को ऊपर उठाएं। उन्हें 90 डिग्री के कोण तक लाएं। अपनी सांस छोड़ते हुए अपने कूल्हों को ज़मीन से ऊपर उठाएं। ऐसा करते हुए, अपने पैरों को सिर के पीछे ज़मीन पर टिकाने का प्रयास करें। अपने हाथों को अपनी पीठ के पीछे ज़मीन पर रखें। अपनी कोहनियों को थोड़ा मोड़ें और अपनी उंगलियों को ज़मीन पर दबाएं।

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अपनी ठुड्डी को अपनी छाती से लगाएं और अपनी दृष्टि नाक की नोक पर रखें। इस स्थिति में कुछ देर तक रुकें। अपनी सांस पर ध्यान दें और धीरे-धीरे और गहरी सांस लें। धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने पैरों को वापस ज़मीन पर लाएं। कुछ देर के लिए शवासन यानी शव मुद्रा में आराम करें।