Yogasana For Heart: पिछले कुछ सालों से खराब लाइफस्टाइल की वजह से दिल की बीमारी लोगों में बहुत बढ़ रही है। यहां तक कि अब तो बहुत कम उम्र के लोग भी हृदय संबंधी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इतना ही नहीं, जो लोग जिम में जाकर एक्सरसाइज करते हैं और अपनी फिटनेस पर बहुत ध्यान देते हैं, उनको भी दिल का दौरा पड़ रहा है। इसलिए इसको स्वस्थ रखने के लिए खान-पान के साथ-साथ कुछ योगासनों को नियमित रूप से अपने दिनचर्या में शामिल करना बेहद जरूरी है।
आइए जानते हैं, ये कौन-कौन से योगासन हैं...
जानुशिरासन (Janushirasana Yoga)
यह आसन शरीर के सभी आंतरिक अंगों को सशक्त और स्वस्थ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इस योगासन को करने के लिए पहले अपने दोनों पैरों को सामने की ओर सीधा फैलाकर बैठ जाइए। इसके बाद दाएं पैर को घुटने से मोड़कर इसके तलवे को बायीं जांघ से स्पर्श करे। अब दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हुए पैर की अंगुलियों को पकड़ने का कोशिश कीजिए। इस स्थिति में आरामदायक समय तक रुक कर वापस पूर्व स्थिति में आ जाइए। यही अभ्यास दूसरे पैर से भी करें। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि जिन्हें स्लिप डिस्क, स्पांडिलाइटिस या तीव्र कमर दर्द की शिकायत हो वे जानुशिरासन का अभ्यास ना करें।
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मत्स्येंद्रासन (Matsyendrasana Yoga)
इस आसन को करने के लिए पहले दोनों पैरों को सामने फैलाकर सीधा बैठ जाएं। अब बाएं पैर को घुटने से मोड़कर इसकी एड़ी को दाएं नितंब के नीचे रखें। इसके बाद दाएं पैर को घुटने से मोड़कर इसके पंजे को बाएं घुटने से बाहर सटाकर बाहर रखें तथा घुटने को छाती की तरफ ऊपर की ओर रखें। अब बाएं हाथ को दाएं पैर के बाहर रखते हुए उसके पंजे को पकड़ने का प्रयास करें। इसके बाद धड़ को दायीं ओर जितना घुमा सकते हैं, घुमाइए। आरामदायक समय तक इस स्थिति में रहने के बाद वापस पूर्व स्थिति में आ जाइए। यही क्रिया दूसरे पैर से भी करें।
प्राणायाम (Pranayama Yoga)
हृदय को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्राणायाम हैं- कपालभाति, भस्त्रिका, उज्जयी और नाड़ी शोधन प्राणायाम। यहां पर उज्जयी प्राणायाम के अभ्यास की विधि बताई जा रही है। उज्जयी प्राणायाम को ध्यान के किसी भी आसन में जैसे-सिद्धासन, पद्मासन या सुखासन में बैठकर रीढ़, गले और सिर को बिल्कुल सीधा रख लें। आंखों को ढीला बंद कर चेहरे को अधिकतम ढीला छोड़ दें। अब जिह्वा के आगे के भाग को मोड़कर इसे ऊपर वाले तालू से सटा लें। इसके बाद मुंह को हल्का सा खोलकर मुख द्वारा ही सी-सी की आवाज के साथ एक लंबी और गहरी श्वास अंदर लें। इसके बाद मुंह को बंदकर नाक के दारा लंबी और गहरी सांस बाहर निकालें। यह उज्जयी प्राणायाम की एक आवृत्ति है। शुरू में इसकी बारह आवृत्तियों का अभ्यास करें। धीर-धीर आवृत्तियों की संख्या अपनी सुविधानुसार बढ़ाते जाएं।
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ध्यान (Dhyan Yog Mudra)
हमारी भावनाओं को नियंत्रित और संतुलित करने के लिए ध्यान बहुत प्रभावी है। ध्यान करने के लिए किसी भी आसन में सीधा होकर बैठ जाएं। अपने हाथों को घुटनों पर सहजता के साथ रख लें। आंखों और चेहरे को खूब ढीला और सहज छोड़ दें। अब अपनी सहज सांसों पर मन को एकाग्र करने का अभ्यास करें। इस दरम्यान मन बार-बार इधर-उधर भागता है। फिर भी मन को सजग बनाए रखने के लिए उसे बार-बार वापस लाने की कोशिश करें। इसको हर दिन दस से पंद्रह मिनट अवश्य करें। यह तनाव, बेचैनी, भय और परेशानी को कम करता है। यही सब मनोभाव दिल को कमजोर करते हैं।
इनके अलावा आप सूर्य नमस्कार का अभ्यास भी कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी आसन का अभ्यास शुरू करने से पहले योग्य-अनुभवी योग प्रशिक्षक से इसे अवश्य सीख लें।