Jal Brahmi Plants: जल ब्राह्मी या गोटू कोला एक बारहमासी पौधा है, जो अजमोद परिवार का सदस्य है। आजकल गोटू कोला की पूरी दुनिया में इसलिए बहुत चर्चा है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो कुछ गिनी-चुनी जड़ी-बूटियां अपने फायदों से लोगों को चकित किए हुए हैं, इनमें से एक जल ब्राह्मी भी है। इसमें विटामिन बी, विटामिन सी, प्रोटीन और टैनिन जैसे कई महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं। हर्बल एक्सपर्ट कहते हैं, अगर आप अपने स्किन का ख्याल प्राकृतिक तरीके से रखना चाहते हैं तो गोटू कोला को अपने स्किन केयर रूटीन में शामिल कर सकते हैं। कुछ लोग हड्डियों संबंधी समस्या में इसके जबरदस्त फायदे मानते हैं।

क्या है जल ब्राह्मी: इसकी पत्तियां छोटे-मोटे पंख के आकार की होती हैं और इनमें सफेद या हल्के बैंगनी रंग के फूल आते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम ‘सेंटेला एशियाटिका’ है। इसमें बहुत छोटे-छोटे अंडाकार फल निकलते हैं, जिनका कई औषधियों में इस्तेमाल होता है। तालाबों के किनारे, तालाबों के भीतर और भी कई तरह की नमीयुक्त जगहों में गोटू कोला हर्बल उगती है। भारत, चीन और इंडोनेशिया जैसे देशों में हजारों वर्षों से गोटू कोला का उपयोग कई तरह के स्थानीय इलाजों के रूप में होता रहा है। इसका इस्तेमाल कई बीमारियों में होता है, लेकिन सबसे ज्यादा यह त्वचा को निखारने के लिए जानी जाती है। घावों को ठीक करने, मानसिक मंदता को दूर करने, कुष्ठ रोग और सोरायसिस के इलाज के लिए भी इसे यूज किया जाता है। 

त्वचा का रखवाला: गोटू कोला नेचुरल एंटी-इफ्लेमेट्री गुणों से भरपूर होता है। यह त्वचा को प्रदूषकों से होने वाले नुकसान से बचाता है। यह त्वचा की प्राकृतिक नमी को बरकरार रखता है और अत्यधिक गर्मी या सर्दी से त्वचा में आने वाली सूजन, लालिमा, रैशेज आदि को दूर करने में मदद करता है। यह त्वचा में कोलेजन को बरकरार रखता है, जिस कारण त्वचा कसी और चिकनी बनी रहती है। नियमित रूप से गोटू कोला का इस्तेमाल करने से त्वचा में झुर्रियों जैसे लक्षण बहुत कम दिखते हैं। इसके इस्तेमाल से जहां त्वचा साफ होती है, वहीं त्वचा में मौजूद नुकसानदायक टॉक्सिन भी बाहर निकल जाते हैं। गोटू कोला के एस्ट्रेंजमेंट स्वभाव के कारण ये चेहरे की त्वचा में मौजूद गैरजरूरी तेल को बाहर निकाल देता है और पोर्स को अच्छी तरह से साफ कर देता है, जिससे चेहरा बेहद निखरा-निखरा नजर आता है।

कई रोगों में कारगर: गोटू कोला में एंटीसेप्टिक गुण भी होते हैं। इसलिए इसके इस्तेमाल से त्वचा विभिन्न तरह के संक्रमणों से बची रहती है। अगर त्वचा में कहीं कोई घाव हो गया है तो गोटू कोला के नियमित इस्तेमाल से घाव बहुत जल्दी भर जाता है। यह तनाव भी कम करता है, क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जो लोग समय से पहले बूढ़े दिखने लगते हैं, उन्हें गोटू कोला का इस्तेमाल किसी हर्बल एक्सपर्ट की देख-रेख में करना चाहिए। यह शरीर में कफ को कम करता है, वात को शांत करता है और पित्त के लिए टॉनिक है। यह आर्थराइटिस में भी कारगर है और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव के चलते इसका हमारे इम्यून सिस्टम पर भी सकारात्मक असर रहता है।

बरतें सावधानी: बहुगुणकारी होने के बावजूद इस औषधि का बिना जाने, समझे इस्तेमाल ब्लडप्रेशर को बढ़ा सकता है। वयस्क लोग इसके अर्क का सेवन 4 से 12 महीनों के लिए प्रतिदिन 60 मिलीग्राम से लेकर 450 मिलीग्राम तक कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल क्रीम, जैल और मलहम के रूप में भी होता है। लेकिन गोटू कोला का इस्तेमाल हमेशा एक्सपर्ट की देख-रेख में ही करना चाहिए।