World Tuberculosis Day 2024: हर वर्ष 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करना है। इसके तहत जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित होते हैं। देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का संकल्प केंद्र सरकार ने लिया है। इसे साकार करने के लिए पूरे देश में समय-समय पर अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
कोविड-19 के बाद वर्ष 2022 में विश्वभर में होने वाली मौतों का दूसरा प्रमुख कारण क्षय रोग(तपेदिक/टीबी) था। क्षयरोग के कारण ह्यूमन इम्यूनो डेफ़िशियेन्सी वायरस (एचआईवी)/एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) की तुलना में लगभग दोगुनी मौतें होती हैं। प्रत्येक वर्ष 100लाख से अधिक लोग क्षय रोग से पीड़ित होते हैं। तपेदिक/ टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) एक संक्रामक बीमारी है जो आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करती है। धीरे-धीरे ये दिमाग या रीढ़ सहित शरीर के बाकी हिस्सों में भी फैल सकती है।
इन्हें टीबी का खतरा ज्यादा
शरीर में तपेदिक (टीबी) की बीमारी की शुरुआत माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के संक्रमण के कारण होती है। शुरुआत में तो शरीर में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन जैसे-जैसे यह संक्रमण बढ़ता जाता है, मरीज की परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं। जिन लोगों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन्हें टीबी का खतरा ज्यादा रहता है।
टी. बी. के प्रमुख लक्षण
तीन सप्ताह से ज्यादा खांसी आना, शाम को बुखार आना, छाती में दर्द ,वजन का लगातार घटना,भूख न लगना। बलगम के साथ खून आना। वर्ष 2022 में विश्वभर में कुल मामलों में क्षय रोग(तपेदिक/टीबी) से प्रभावित होने वाले शीर्ष 30 देशों की सामूहिक भागीदारी 87प्रतिशत थी।शीर्ष देशों में भारत के अतिरिक्त, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य शामिल हैं। वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर 750लाख क्षय रोग (तपेदिक/टीबी)से पीड़ित लोगों का निदान किया गया, जो वर्ष 1995 से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वैश्विक तपेदिक निगरानी शुरू करने के बाद से दर्ज किया गया सबसे बड़ा आँकड़ा है। 2022 में तपेदिक दुनिया का दूसरा प्रमुख संक्रामक रोग है जो मौत का कारण बना हुआ है।
मृत्यु दर में कमी
रिपोर्ट के अनुसार, टी.बी. उपचार का कवरेज बढ़कर टी.बी. के अनुमानित मामलों के 80प्रतिशत तक पहुँच चुका है। यह विगत वर्ष की तुलना में 19 प्रतिशतअधिक है। यह भी सच है कि भारत के प्रयासों से वर्ष 2015 से 2022 में टी.बी. के मामलों में 16प्रतिशत की कमी आई है जो टी.बी. के मामलों में वैश्विक कमी की दर (8.7प्रतिशत) से लगभग दोगुनी है। इसी अवधि के दौरान भारत सहित वैश्विक स्तर पर टी.बी. से मृत्यु दर में 18प्रतिशत की कमी आई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टी.बी. मृत्यु दर को वर्ष 2021 के 4.94 लाख से घटाकर 2022 में 3.31 लाख कर दिया है। यह एक वर्ष में 34प्रतिशत से अधिक की कमी है। इस रपट के अनुसार, टी.बी. निदान को लेकर भारत की गहन रणनीतियों से वर्ष 2022 में सर्वाधिक 24.22 लाख टी.बी. रोगियों की पहचान की गई। यह संख्या पूर्व-कोविड स्तरों से अधिक है।बीते 7नवंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू एच ओ) ने 'वैश्विक तपेदिक (टीबी) रपट-2023' जारी किया है।