चंडीगढ़ मेयर इलेक्शन का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट की ओर से मेयर इलेक्शन के रिजल्ट पर तत्काल रोक लगाने से इनकार करने के बाद आम आदमी पार्टी के पार्षद कुलदीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है। उनकी ओर से दाखिल विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में तर्क दिया गया है कि उच्च न्यायालय ने मेयर पद के लिए चुनाव के नतीजों पर रोक लगाने या चुनावी रिकॉर्ड के संरक्षण का निर्देश देने के रूप में याचिकाकर्ता को कोई अंतरिम राहत नहीं देकर गलती की है। उधर, मेयर इलेक्शन के नतीजों से असंतुष्ट आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़कों पर आज भी प्रदर्शन कर रहे हैं। 

'पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को भी चुनौती'

कांग्रेस-आप के मेयर पद पर संयुक्त प्रत्याशी कुलदीप कुमार को सिर्फ 12 वोट मिले, जबकि बीजेपी के मनोज सोनकर को 16 वोट प्राप्त हुए। आठ वोट ऐसे थे, जिन्हें गलतियों के चलते अवैध घोषित कर दिए गए थे। आप और कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी ने पीठासीन अधिकारी के बलबूते धांधली कराई है। चुनाव नतीजे को लेकर पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में अर्जी लगाई गई। हाई कोर्ट ने बुधवार को ही सुनवाई करते हुए चंडीगढ़ प्रशासन को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया था। साथ ही, स्टे लगाने से भी इनकार कर दिया था।

आम आदमी पार्टी चाहती है कि चूंकि चुनाव गलत तरीके से जीता गया है, लिहाजा तुरंत स्टे लगना चाहिए। ऐसा नहीं हुआ, इसलिए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया गया है। पार्षद कुलदीप कुमार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुमति याचिका में तर्क दिया गया है कि पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय ने मेयर पद पर चुनाव के नतीजों पर रोक नहीं लगाई और न ही चुनावी रिकॉर्ड के संरक्षण का निर्देश दिया, जो गलत है।