Ayodhya Ram Lalla Idol: अयोध्या में भगवान रामलला की मूर्ति किस पत्थर से बनाई गई है? पत्थर कितने साल पुराना है? इन सवालों का जवाब बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स (NIRM) ने दिया है। रामलला की प्रतिमा ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर से बनाई गई है, यह पत्थर 2.5 अरब साल पुराना है। इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर एचएस वेंकटेश ने भौतिक-यांत्रिक विश्लेषण ( Physico Mechanical Analysis) का इस्तेमाल कर पत्थर का परीक्षण किया है। एनआईआरएम भारतीय बांधों और परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए चट्टानों का परीक्षण करने वाली नोडल एजेंसी है।
51 इंच की रामलला की प्रतिमा
अयोध्या में भगवान श्रीराम के बालस्वरूप की पूजा होती है। यहां भगवान राम का जन्मस्थान है। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम लला की मूर्ति की भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की। मैसूर के रहने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने 51 इंच की रामलला की मूर्ति बनाई है। पत्थर को वे कर्नाटक से लाए थे।
ग्रेनाइट पत्थरों का निर्माण लावा के पिछले से हुआ
डॉ. वेंकटेश ने कहा कि चट्टान अत्यधिक टिकाऊ है। इसमें जलवायु परिवर्तन को सहने की क्षमता है। न्यूनतम रखरखाव के साथ यह हजारों वर्षों तक स्थाई रहेगी। मूर्ति का निर्माण ब्लैक ग्रेनाइट से हुआ है। ग्रेनाइट एक बेहद कठोर पत्थर है। अधिकांश ग्रेनाइट चट्टानें तब बनीं जब पृथ्वी के निर्माण के बाद पिघला हुआ लावा ठंडा हुआ।
डॉ. वेंकटेश ने कहा कि पूरा पत्थर एक रंग में था। इसमें किसी भी प्रकार की नक्काशी के लिए विशेष गुण हैं। इसमें किसी भी प्रकार की दरार नहीं आती है। पत्थर पानी को अवशोषित नहीं करता है या कार्बन के साथ प्रतिक्रिया भी नहीं करता है। इस पर रोली, चंदन लगाने से भी कोई नुकसान नहीं होता है।
एक हजार साल तक टिका रहेगा मंदिर
केंद्रीय विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि राम मंदिर का निर्माण में हर चीज का खास ख्याल रखा गया है। पारंपरिक वास्तुशिल्प डिजाइन से लेकर उच्चतम गुणवत्ता वाले पत्थरों का उपयोग किया गया है। फिर भी इसे हजारों साल तक टिकाऊ बनाने के लिए इसमें आधुनिक विज्ञान और इंजीनियरिंग तकनीकों को शामिल किया गया। उन्होंने आगे कहा कि मंदिर को 1,000 से अधिक साल टिके रहने के लिए डिजाइन किया गया है।
पृथ्वी की जितनी उम्र, उसकी आधी उम्र रामलला के पत्थर की
रामलला की मूर्ति को बनाने में इस्तेमाल हुए पत्थर को मैसूर जिले के जयापुरा होबली गांव से लाया गया था। यह क्षेत्र उच्च गुणवत्ता वाली ग्रेनाइट खदानों के लिए जाना जाता है। यह चट्टान प्री-कैम्ब्रियन काल की है, जिसकी शुरुआत लगभग चार अरब से अधिक वर्ष पहले हुई थी। अनुमान है कि पृथ्वी की उत्पत्ति लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले हुई थी। जिस काली ग्रेनाइट चट्टान से रामलला की मूर्ति बनाई गई है, उसने पृथ्वी के इतिहास का कम से कम आधा या अधिक हिस्सा देखा है।
14 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी पर मानवों की उत्पत्ति मानी जाती है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति लगभग 4 अरब वर्ष पहले हुई थी।
6 महीने की मेहनत से अरुण ने बनाई प्रतिमा
ग्रेनाइट पत्थर को मैसूरु के रहने वाले 38 वर्षीय अरुण योगीराज ने एक सुंदर मूर्ति में तब्दील किया। अरुण योगराज अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। राम लला की मूर्ति तैयार करने में उन्हें लगभग छह महीने लगे। सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा के वक्त अरुण योगीराज ने कहा था कि वे खुद को दुनिया के सबसे भाग्यशाली शख्स मानते हैं। रामलला की प्रतिमा से पहले अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा दिल्ली में इंडिया गेट पर लगी है। यह प्रतिमा 30 फीट ऊंची और काले पत्थर से बनी है।
मूर्ति का वजन 200 किलोग्राम
मूर्ति का वजन 200 किलोग्राम है। इसकी कुल ऊंचाई 4.24 फीट और चौड़ाई तीन फीट है। कमल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर और धनुष है। कृष्ण शैली में इसका निर्माण किया गया है। शास्त्रों में इस पत्थर को कृष्ण शिला कहा जाता है।