नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस संगठन में बड़े फेरबदल किए गए हैं। शुक्रवार को कांग्रेस नेतृत्व ने छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र के प्रभारी बदलने का फैसला लिया है। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी की जगह अविनाश पांडे को प्रभारी नियुक्त किया गया है, जबकि सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ की कमान सौंपी गई है। बिहार में मोहन प्रकाश को प्रभारी बनाया गया है। महाराष्ट्र में रमेश चेन्निथला अब प्रभारी होंगे। केसी वेणुगोपाल महासचिव पद पर बने रहेंगे।
मुकुल वासनिक को गुजरात की कमान सौंपी गई
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने मुकुल वासनिक को गुजरात का महासचिव बनाया गया है। उन्हें राज्य में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए काम करना होगा। जितेंद्र सिंह को असम का महासचिव और मध्य प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। रणदीप सिंह सुरजेवाला महासचिव के तौर पर कर्नाटक में कांग्रेस का नेतृत्व करेंगे। खासकर दक्षिणी राज्यों में पार्टी को रणनीति मजबूती देने के लिहाज से उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है।
इन चेहरों को भी मिली नई जिम्मेदारी
दिल्ली और इसके आसपास कांग्रेस की पकड़ मजबूत करने के लिए दीपक बाबरिया को दिल्ली महासचिव और हरियाणा महासचिव के रूप में एक अतिरिक्त भूमिका सौंपी गई है। कुमारी शैलजा को उत्तराखंड, जी.ए. मीर को उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। दीपा दासमुंशी को केरल और लक्षद्वीप का महासचिव और तेलंगाना का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। जयराम रमेश कम्युनिकेशन और केसी वेणुगोपाल को संगठन महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
चिदंबरम की अगुवाई में मैनिफेस्टो कमेटी गठित
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए 16 सदस्यीय मैनिफेस्टो कमेटी का भी गठन किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबर को इस कमेटी का अध्यक्ष होंगे। समिति का एजेंडा मोदी सरकार की घोषणाओं और उसे अहमल में लाने में हुई को उजागर करने के लिए काम करेगी। इसके लिए कांग्रेस ने शनिवार को एक प्रस्ताव पारित किया। समिति के संयोजक के टीएस राजदेव सिंह होंगे। प्रियंका गांधी सदस्य के तौर पर इसमें शामिल की गई हैं।
इस कमेटी में पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, मणिपुर के पूर्व डिप्टी सीएम गइखंगम और लोकसभा में पार्टी के उप नेता गौरव गोगोई जैसे नेताओं को शामिल किया गया है। इसके साथ ही के कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरामैया, टीएस राजदेव,राजू, रंजीत रंजन,इमरान प्रतापगढ़ी,गुरदीप सप्पल,जिग्नेश मेवाणी,ओंकार सिंह मरकाम और प्रवीण चक्रवर्ती को भी इसमें जगह दी गई है।
मध्यप्रदेश नया नहीं है जितेन्द्र सिंह के लिए
मध्यप्रदेश के प्रभारी बनाए गए जितेन्द्र सिंह के लिए मध्यप्रदेश नया नहीं है। विधानसभा चुनाव के दौरान वे स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। यहां के सियासत से वे अच्छी तरह से वाकिफ हैं। चुनाव के दौरान उन्होंने यहां के एक-एक नेता से वन-टू-वन चर्चा की। विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी समीक्षा के साथ फीडबैक लिया। उम्मीदवारों से मिले फीडबैक के आधार पर पार्टी में निर्णय हो रहे हैं। अभी तक टिकट वितरण में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे जितेन्द्र सिंह अब प्रदेश कांग्रेस के मामालों में सीधे ही निर्णय ले सकेंगे। हालांकि इन्हें प्रदेश अध्यक्ष से तालमेल बनाकर भी चलना होगा।
जानिए कांग्रेस के यूपी प्रभारी के बारे में
यूपी के प्रभारी बनाए गए अविनाश पांडेय राज्यसभा संसद रह चुके हैं। इससे पहले वह झारखंड व राजस्थान के कांग्रेस संगठन प्रभारी रह चुके हैं। पार्टी में अविनाश की गिनती पुराने नेताओं में होती है। साल 2008 में उन्होंने उद्योगपति राहुल बजाज के खिलाफ महाराष्ट्र से राज्यसभा चुनाव लड़ा, लेकिन एक वोट से हार गए थे। दोबारा 2010 में महाराष्ट्र से राज्यसभा के लिए नामांकन किया। उन्होंने यह चुनाव निर्विरोध जीता था।
सचिन पायलट का कांग्रेस में कैसा रहा है सफर
छत्तीसगढ़ के कांग्रेस संगठन प्रभारी बनाए गए सचिन पायलट कांग्रेस के सीनियर नेता हैं। पिता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजेश पायलट के आकस्मिक निधन के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा था। युवा उम्र में राजस्थान से लोकसभा सांसद चुने गए। मनमोहन सरकार में मंत्री भी रहे। इसके बाद राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और प्रदेश सरकार में डिप्टी सीएम बनाए गए। 2020 में उनके बगावती तेवर के चलते पीसीसी अध्यक्ष व डिप्टी सीएम पद से हटाया गया था। वर्तमान में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य भी हैं।
कौन हैं रमेश चेन्निथला?
कांग्रेस के महाराष्ट्र के प्रभारी हरिप्पद से विधान सभा सदस्य (एमएलए) रमेश चेन्निथला ने केरल में अहम राजनीतिक पदों पर कार्य किया है। उन्होंने केरल विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता (एलओपी) और केरल के गृह मंत्री की जिम्मेदारी निभाई है। वे केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहने के साथ ही एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य भी रह चुके हैं। वह चार बार सांसद (एमपी) के रूप में और पांच बार विधायक (MLS)रह चुके हैं।
कौन हैं मोहन प्रकाश?
कांग्रेस के बिहार प्रभारी बनाए गए मोहन प्रकाश, कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य और राष्ट्रीय प्रवक्ता सहित पार्टी के भीतर विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभा चुके हैं। वे गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने पहले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव के रूप में कार्य किया है। छात्र राजनीति में सक्रिय भूमि निभा चुके प्रकाश राजस्थान के रहने। प्रकाश एआईसीसी के केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
Expert view:
कांग्रेस संगठन में इस फेरबदल के क्या मायने ?
भाजपा के समस्त पदाधिकारियों की दो दिवसीय बैठक दिल्ली में संपन्न होने के बाद ही कांग्रेस ने पूरे प्रदेशों के प्रभारी घोषित कर दिए गए हैं। प्रियंका वाड्रा को कोई प्रभार नहीं दिया गया है। केसी वेणुगोपाल यथावत महासचिव बने रहेंगे।
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने यह फेरबदल कर चौंका दिया है। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ने भाजपा की नकल करना शुरू कर दिया है।नकल इस मायने में मानी जा सकती है कि भाजपा तो पांच राज्यों के चुनाव सम्पन्न होने के बाद ही लोकसभा की तैयारियों में जुट गई है।वक्त के भाजपा की सक्रियता बढ़ती जा रही है। संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में धरना, प्रदर्शन में उलझी कांग्रेस को अचानक याद आया कि लोकसभा चुनाव की तैयारी भी करना है।
इस पूरे फेरबदल में कुछ प्रदेशों के प्रभारियों की छवि ऐसी है कि वह नाम के प्रभारी साबित होते हैं। रणदीप सुरजे वाला विधानसभा चुनाव में मप्र के संचालक थे। कांग्रेस सिर्फ अपना सम्मान बरकरार रख सकी। बिहार के नए प्रभारी मोहन प्रकाश भी मप्र के प्रभारी रह चुके हैं। कुछ भी चमत्कार नहीं दिखा सके थे। अभी जितेंद्र सिंह को अभी आसाम के साथ मप्र का अतिरिक्त प्रभार मिला है। जितेंद्र सिंह को मप्र कांग्रेस के पदाधिकारी ही ठीक ढंग से नहीं जानते हैं। ऐसे कई प्रभारी हैं, जिन्हें उपकृत किया गया है। कांग्रेस के फेरबदल में राहुल गांधी की पूरी भूमिका दिखाई दे रही है। खरगे ने राहुल गांधी की सूची पर हस्ताक्षर किए हैं। जयराम रमेश को समन्वय, वेणुगोपाल को महासचिव, अजय माकन को कोषाध्यक्ष बनाना इस बात को प्रमाणित करती है। पूरे घर के बदल डालने की तर्ज पर किए गए फेरबदल में प्रभारियों की परीक्षा लोकसभा में ही होगी।
(लेखक राम मोहन चौकसे, नवभारत के पूर्व संपादक एवं मध्यप्रदेश के अधिमान्य पत्रकार हैं।)