Gautam Sen Warns Congress Wealth Tax Proposal: देश में लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस के कथित 'विरासत टैक्स' और 'संपत्ति के एक्सरे' की चर्चा खूब है। पीएम मोदी और भाजपा लगातार कांग्रेस पर हमलावर है। इस कड़ी में राजनीतिक अर्थशास्त्री और लेखक गौतम सेन का एक अहम बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के संसाधनों के पुर्नवितरण का फार्मूला भारत में काम नहीं करेगा। भारत में संपत्ति टैक्स लगाने के कांग्रेस के प्रस्ताव से देश के अति अमीरों- अडानी, अंबानी और टाटा को अपना कारोबार दुबई जैसे टैक्स हेवन देशों में ले जाना पड़ेगा। इससे भारत को काफी नुकसान होगा।

लोगों का धंधा रुक जाएगा
गौतम सेन लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से रिटायर्ड हैं। पूर्व में वे इंडो-यूके राउंडटेबल के सदस्य और यूएनडीपी में वरिष्ठ सलाहकार थे। एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत में 500 से अधिक अरबपति वर्ग के लोग नहीं हैं। इसके बाद जो भी हैं उन्होंने अपनी पूंजी कारोबार में लगा रखी है। यदि उस पूंजी को सरकार अधिग्रहीत करे या फिर 55 फीसदी तक विरासत टैक्स वसूला जाए तो धंधा ही रुक जाएगा। 

गौतम सेन ने स्वीडन का दिया उदाहरण
गौतम सेन ने कहा कि स्वीडन में बहुत बड़ा विरासत कर लगता था। स्वीडन इतिहास में दुनिया के सबसे अधिक कर वाले देशों में से एक था। लेकिन स्वीडन ने विरासत कर हटा दिया, क्योंकि कई अमीर देश छोड़ रहे थे। जैसे आईकेईए के मालिक स्वीडन से बाहर चले गए थे। लेकिन जब विरासत कर हटा तो बहुत सारा धन वापस आ गया। आर्थिक विकास में सुधार हुआ। अब, भारत में यदि आप इस हद तक अराजकता फैलाते हैं, तो आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि आप कृषि भूमि के साथ ऐसा नहीं कर सकते।

भारत के लिए उपयुक्त नहीं संपत्ति कर का फार्मूला
कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने हाल ही में सुझाव दिया था कि भारत अमेरिका में प्रचलित विरासत कर के समान एक विरासत कर अपनाए। हालांकि सेन ने बताया कि यह भारत के लिए उपयुक्त नहीं है। सेन ने इस बात पर जोर दिया कि पुनर्वितरण सभी अर्थव्यवस्थाओं और समाजों में होता है, और भारत ने पिछले दशक में ग्रामीण क्षेत्रों और समाज के सबसे गरीब वर्गों के कल्याण में महत्वपूर्ण सुधार देखा है।

सेन ने विरासत कर लागू करने की व्यावहारिकता और सभी घरों और व्यवसायों का सर्वेक्षण करने के कांग्रेस के प्रस्ताव के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में केवल कुछ प्रतिशत लोग ही व्यक्तिगत आयकर का भुगतान करते हैं, और इस समूह से धन के पुनर्वितरण का प्रयास करने से समग्र धन वितरण पर न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा।