Secret Bunker: ईरान ने अपनी जमीन की नीचे और पहाड़ों के अंदर सीक्रेट अंडरग्राउंड मिसाइल सिटी बना रखी है। यहां मिसाइलों, फाइटर जेट, बमवर्षक और ड्रोन को रखा गया है। ईरान ने इजरायल पर हमले के बाद ईरीनी मीडिया में इसकी वीडियो जारी की है।
ऐसे में ईरान के इस कदम को शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। ईरान में इस तरह की कई मिसाइल सिटी हैं, लेकिन वह कहां हैं, इसकी जानकारी ईरान के कुछ ही चुनिंदा अधिकारियों को होती है। सामान्य सैनिक या अधिकारी तक को इसके बारे में जानकारी नहीं होती।
नान्ताज और फोर्दो में सबसे ज्यादा मिसाइल सिटी
ईरान इन मिसाइल सिटी का इस्तेमाल अपने परमाणु केंद्रों को बचाने के लिए करता है। सूत्रों के अनुसार ये केंद्र नान्ताज और फोर्दो में हैं। नान्ताज और फोर्दो दोनों ही पहाड़ों के बीच बनाए गए हैं। यहां बंकर, अंडरग्राउंड सुरंगें और जमीन में आंतरिक संरचना है। इनको पत्थरों और रीनफोर्स्ड कॉन्क्रीट से बनाया गया है।
जमीन के 500 मीटर नीचे बनी है मिसाइल सिटी
मीडिया रिपोट्स के अनुसार इन बंकरो में मीडियम रेंज की मिसाइलें सुरक्षित रखी जाती है। यह बंकर सतह से 500 मीटर यानी आधा किलोमीटर की गहराई में बनाए गए हैं। इतनी गहराई किसी भी तरह के हमले से ईरानी हथियारों, मिसाइलों, फाइटर जेट्स और बमवर्षकों को बचा सकती है। इन सीक्रेट एयरबेस पर किसी भी तरह के परमाणु हमले का भी असर नहीं होगा।
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ईरान ने मिसाइल सिटी को लेकर किया दावा
ईरान का दावा है कि ये मिसाइल सिटी ज्वालामुखी की तरह आग उगलने का काम करती हैं। इनमें ईरान अपने F-4 फाइटर जेट्स और मीडियम रेंज Emad बैलिस्टिक मिसाइलें को दुनिया की नजरों से दूर रखता है। इन बंकरों को 2015 में बनाया गया था। उस समय एयरोस्पेस फोर्स ऑफ द आर्मी ऑफ द गार्जियंस ऑफ द इस्लामिक रिवोल्यूशन के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल अमीर अली हाजीजादेह थे। उन्होंने कहा था कि ईरान किसी देश से युद्ध नहीं चाहता। किसी ने हमला किया तो ये बंकर ज्वालामुखी की तरह आग उगलेंगे।
कहां हैं सबसे ज्यादा मिसाइल सिटी
ईरान के लोरेस्तान में सबसे ज्यादा मिसाइल सिटी होने का अनुमान लगाया जा रहा है। यहां से ईरान एक बार में किसी भी देश पर ताबड़तोड़ मिसाइल या हवाई हमला कर सकता है। ईरान के लोरेस्तान में ही सबसे ज्यादा अंडरग्राउंड मिसाइल और फाइटर जेट्स के बेस हैं। इसके अलावा करमनशाह में दो अंडरग्राउंड बेस हैं। इसके अलावा किसी और भूमिगत बंकर का खुलासा आजतक नहीं किया गया है, लेकिन एक बात तो तय है कि इन बंकरों के पता बाहर से नहीं चलता।
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