Rice production in India: केंद्र सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया है। इससे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत देशभर के चावल उत्पादक किसानों को फायदा होगा। भारत वर्तमान में सबसे चावल निर्यातक देश है। यहां के बासमती चावल की खुशबू अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के तमाम बड़े देशों तक फैली है। वर्ष 2023-24 में भारत ने 23 मिलियन टन चावल एक्सपोर्ट किया है। जो कि अपने आपमें रिकॉर्ड है। मध्य प्रदेश से भी करीब साढ़े तीन हजार करोड़ का चावल पिछले वर्ष निर्यात हुआ है। 

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 28 सितंबर को अधिसूचना जारी कर गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है। सरकार ने चावल का कीमत (निर्यात के लिए)  490 डॉलर प्रति टन की है। पारबॉइल्ड और ब्राउन चावल पर निर्यात शुल्क भी 20 फीसदी से से घटाकर 10 फीसदी कर दी गई है। इससे किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिलेगा। चाहें तो वह खुद भी चावल निर्यात कर सकते हैं। 


पश्चिम बंगाल में चावल का सर्वाधिक उत्पादन 
चावल उत्पादन के मामले में चीन पहले स्थान और भारत दूसरे स्थान पर है। भारत में सर्वाधिक 146.05 लाख टन चावल पश्चिम बंगाल में होता है। यहां की उत्पादन क्षमता (प्रति हेक्टेयर 2600 किलो) भी अन्य राज्यों से काफी बेहतर है। पश्चिम बंगाल के बाद सर्वाचिक चावल उत्तर प्रदेश और पंजाब में होता है। यूपी में देश का 12.81 फीसदी और पंजाब में 9.96 फीसदी चावल होता है। देश में होने उत्पादित चावल का 23 फीसदी हिस्सा इन्हीं 3 राज्यों में होता है। 

छत्तीसगढ़ में धान का उत्पादन।

छत्तीसगढ़ में चावल 23,450 प्रजातियां 
चावल उत्पादन के मामले में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ भी काफी समृ्द्ध हैं। छत्तीसगढ़ में हर साल करीब 78.22 लाख टन चावल पैदा होता है। इसका 95 फीसदी हिस्सा सरकार खरीद लेती है। छत्तीसगढ़ चावल की सर्वाधिक 23,450 किस्में पैदा करने वाला राज्य है। इनमें से 16 प्रजातियां सुगंधित हैं। जिनकी विदेशों में अच्छी खासी डिमांड है। छत्तीसगढ़ के 88 फीसदी हिस्से में चावल का भरपूर उत्पादन होता है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहते हैं।  

पूरी दुनिया में लोकप्रिय है MP का बासमती   
मध्य प्रदेश में भी चावल का अच्छा उत्पादन होता है। जबलपुर, मंडला, बालाघाट, डिंडौरी और सिवनी समेत 30 से ज्यादा जिले हैं, जहां पर्याप्त मात्रा में धान की खेती की जाती है। मंडला और डिंडोरी के सुगंधित चावल और बालाघाट के चिन्नौर चावल को जीआई टैग भी मिला हुआ है। मध्य प्रदेश का बासमती चावल दुनियाभर में विख्यात है। यहां से चीन, अमेरिका, यूएई और यूरोप के कई देशों में चावल का निर्यात होता है। 

मध्य प्रदेश का बासमती चावल।

CM बोले-किसानों को होगा फायादा 
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने चावल के निर्यात से प्रतिबंध हटाए जाने पर प्रशन्नता जताई है। कहा, सरकार के इस निर्णय से मध्यप्रदेश के किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान बनाने का मौका मिलेगा। सीएम ने बताया कि मध्यप्रदेश में चावल उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। पिछले कुछ सालों में 200 से अधिक नई चावल मिल स्थापना की गई हैं। निश्चित ही किसानों और निर्यातकों को अच्छा लाभ होगा। अब वह अपने चावल को न्यूनतम निर्यात मूल्य से अधिक दरों पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच सकेंगे।

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भारत चावल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर 
वैश्विक बाजार में चावल का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। 2022 में चावल का निर्यात 2018 की अपेक्षा 12.5 फीसदी है। 2022 में दुनिया के विभिन्न देशों ने मिलकर 29.3 बिलियन डॉलर का चावल निर्यात किया। इसमें $10,766,623,000 के साथ भारत पहले नंबर पर रहा। भारत के अलावा थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और संयुक्त राज्य अमेरिका भी सर्वाधिक चावल निर्यातक देशों में शामिल हैं। यह 5 देश मिलकर 72.8 फीसदी चावल निर्यात करते हैं।  

किसानों को होगा इतना फायदा 
भारत सरकार ने गैरबासमती चावल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 490 डॉलर प्रति टन निर्धारित की हैं। इस लिहाज से एक क्विंटल चावल की कीमत 49 डॉलर हुई। भारतीय मुद्रा में बात करें तो लगभग इसके चार हजार रुपए मिलेंगे। जबकि, केंद्र सरकार ने धान का सरकारी रेट 2300 रुपए तय किया है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की राज्य सरकारें प्रति क्विंटल बोनस देती हैं। जिसके बाद किसानों को प्रति क्विंटल 2500-2600 रुपए मिलते हैं। लेकिन एक क्विंटल धान में 70 से 75 किलो चावल ही निकलता है।