No Confidence Motion Against Jagdeep Dhankhar: शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में राजनीतिक तापमान चरम पर है। विपक्षी दलों का इंडिया ब्लॉक अब राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। जानकारी के अनुसार, इस प्रस्ताव पर अब तक 70 सांसदों के हस्ताक्षर हो चुके हैं।

धनखड़ के रुख को देखते हुए अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी
बताया जा रहा है कि सोमवार को राज्यसभा में जॉर्ज सोरोस के मुद्दे पर हंगामे के दौरान सभापति जगदीप धनखड़ के रुख को देखते हुए कांग्रेस उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। सोमवार को जॉर्ज सोरोस से जुड़े मुद्दे पर जिस तरह से राज्यसभा में हंगामा हुआ, उसे लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य सभापति जगदीप धनखड़ से नाराज बताए जा रहे हैं। इसमें समाजवादी पार्टी (SP) और तृणमूल कांग्रेस (TMS) ने भी समर्थन दिया है। विपक्ष की ओर से सभापति को हटाने के लिए प्रस्ताव लाए जाने की चर्चा संसद के पिछले मॉनसून सत्र के दौरान भी थी लेकिन तब विपक्ष ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था।

सिंघवी का नाम लेने पर भड़के खड़गे 
सदन में हंगामे के दौरान भी दिग्विजय सिंह से लेकर राजीव शुक्ला तक, कांग्रेस सांसदों ने सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि किस नियम के तहत उन्होंने चर्चा चालू की है। विपक्षी सदस्यों ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि सभापति बीजेपी सदस्यों के नाम ले-लेकर उनसे बोलने के लिए कह रहे हैं।

जानें विरोध का कारण क्या है?
सोमवार को जॉर्ज सोरोस से जुड़े मुद्दे पर सदन में हुए हंगामे के बाद विपक्ष ने सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाया। विपक्षी सांसदों का कहना है कि सभापति धनखड़ चर्चा के दौरान सत्तारूढ़ दल को बढ़ावा दे रहे थे और विपक्ष की आवाज को नजरअंदाज किया गया।  

अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया 
राज्यसभा में सभापति को हटाने के लिए प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया बेहद सख्त है। इसके लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। हस्ताक्षर के बाद, प्रस्ताव पर चर्चा की जाती है और फिर उपस्थित सदस्यों के बहुमत से इसे पारित किया जाता है। प्रस्ताव राज्यसभा में पारित होने के बाद लोकसभा में भी मंजूरी लेनी होती है। बता दें कि शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक ही चलना है।

सभापति जगदीप धनखड़ ने दी प्रतिक्रिया
हंगामे के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही स्थगित करने से पहले कहा, “देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता सर्वोच्च है। कोई भी ताकत इसे कमजोर नहीं कर सकती। विपक्ष और सरकार को राष्ट्रवाद के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता रखनी चाहिए।”