Defamation Case: देश की नामी सामाजिक कार्यकर्ता (सोशल वर्कर) मेधा पाटकर को मानहानि केस में दिल्ली की एक अदालत ने 5 महीने की सजा सुनाई है। यह मामला दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना से जुड़ा है। एलजी सक्सेना ने सोशल वर्कर पाटकर के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया है। दोनों के बीच दिल्ली के साकेत कोर्ट में 2000 से कानूनी लड़ाई चल रही थी।

कोर्ट ने सजा सुनाई और 1 अगस्त तक सस्पेंड की
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने सोमवार को दिए अपने फैसले में मेघा पाटकर को मानहानि का दोषी करार दिया। उन्हें विनय सक्सेना की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपए का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है। हालाकि, कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता को फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करने की अनुमति देते हुए सीआरपीसी 389 (3) के तहत सजा को 1 अगस्त तक सस्पेंड कर दिया।

सजा के फैसले को चुनौती देंगी मेघा पाटकर
प्रोवेशन की शर्त पर रिहा करने की पाटकर की अपील को खारिज करते हुए मजिस्ट्रेट ने कहा- तथ्य, नुकसान, उम्र और (आरोपी की) बीमारी को ध्यान में रखते हुए मैं लंबी सजा देने का इच्छुक नहीं हूं। कोर्ट के फैसले पर पाटकर ने कहा कि सच्चाई को कभी हराया नहीं जा सकता। हमने किसी को बदनाम करने की कोशिश नहीं की है, हम सिर्फ अपना काम करते हैं। हम कोर्ट के फैसले को चुनौती देंगे।

बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पाटकर और वीके सक्सेना के बीच 2000 से कानूनी विवाद चल रहा है। सक्सेना ने अपने खिलाफ और नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के लिए विज्ञापन प्रकाशित करने पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था।