PPF Vs EPF: भारत में सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि यानी PF एक सेविंग खाता है, जिसमें नौकरी के दौरान जमा फंड आपको रिटायरमेंट के दौरान आराम से जीवन जीने की आजादी देता है। सेवानिवृत्ति के बाद पीएफ फंड से लाइफ तनाव और पैसे के तंगी के बिना गुजरती है। फिलहाल देश में कर्मचारी भविष्य निधि के लिए ईपीएफ (EPF) और पीपीएफ (PPF) स्कीम चालू हैं। जिनमें निवेश से कोई भी रिटायरमेंट के लिए पैसे जुटा सकता है।
ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल होता है कि क्या कर्मचारी EPF और PPF में एक साथ निवेश कर सकते हैं? इन दोनों अकाउंट्स के बीच मुख्य अंतर क्या हैं? इनमें निवेश और निकासी की शर्तें क्या हैं? आज हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब उपलब्ध करा रहे हैं। पढ़िए...
1) EPF (Employee Provident Fund)
- ईपीएफ एक अनिवार्य रूप से नियोक्ता और कर्मचारी के बीच समझौते पर आधारित होता है। कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का नियोगदान एक स्थिर प्रमाण के साथ होता है।
- सामान्यत: यह नियोक्ता द्वारा प्रदान की जाती है और सैलरी से कटौती के रूप में हर महीने कर्मचारी के खाते में जमा की जाती है।
- इसमें निवेश का भाग निकाला जा सकता है, लेकिन पूरी तरह से निकासी की अनुमति केवल रिटायरमेंट के दौरान ही की जा सकती है।
- EPF अकाउंट आपके नियोक्ता की ओर से खोला जाता है और इसमें आपको स्वतंत्र निवेश की सुविधा नहीं होती है।
2) PPF (Public Provident Fund)
- पीपीएफ एक वॉलेंटरी फैलिसिटी के तौर पर उपलब्ध होता है, यानी इसमें निवेश करना किसी का व्यक्तिगत चयन होता है।
- यह रिटायरमेंट के बाद संजीवनी संपत्ति बनाने के साथ-साथ करदाता को टैक्स छूट की सुविधा भी प्रदान करता है।
- PPF अकाउंट को व्यक्तिगत रूप से खोला जा सकता है और इसमें किसी को भी स्वतंत्र निवेश करने की सुविधा होती है।
- इसका लॉक-इन पीरियड 15 साल का होता है, लेकिन कुछ समय के बाद भी पैसा निकासी की अनुमति मिल जाती है।
EPF और PPF दोनों खाते एकसाथ खोल सकते हैं?
अब जानिए अहम सवाल का उत्तर- जी हां, कोई भी कर्मचारी EPF और PPF में निवेश कर सकता है। आपको दोनों अकाउंट खोलकर उनमें रिटायरमेंट के लिए बचत करने का अधिकार है। इससे आपको भविष्य में वित्तीय सुरक्षा और स्वतंत्रता मिलेगी।