Bulldozer Action Guidelines : बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सख्त टिप्पणी करते हुए सख्त गाइडलाइन जारी की है। कहा, बिना सुनवाई का मौका दिए किसी का घर नहीं गिराया जा सकता। संविधान इसकी अनुमति नहीं देता। कोर्ट ने कहा, किसी का घर गिराना क्यों जरूरी है, अफसरों को स्पष्ट उल्लेख करना होगा। जवाबदेही और मुआवजा भी तय करना होगा।
जस्टिस गवई ने अपने फैसले में कहा, अपने घर की चाहत हर दिल में होती है। कई लोग इसी ख्वाब के साथ जीवन जीते हैं। घर केवल संपत्ति ही नहीं, बल्कि सुरक्षा के लिए परिवार की सामूहिक उम्मीद का प्रतीक है। इसलिए सड़क, रेल और जल निकाय पर अवैध रूप से बने घर ही गिराए जा सकते हैं। इसके लिए भी आरोपी को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त समय देना होगा।
18 प्वाइंट में समझें बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- किसी व्यक्ति का घर सिर्फ आरोप के आधार पर नहीं गिराया जा सकता। यह संविधान और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
- किसी भी नागरिक को दोषी ठहराने से पहले निष्पक्ष सुनवाई जरूरी है। बिना सुनवाई के किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
- सरकार आरोपी अथवा दोषी के खिलाफ मनमानी कार्रवाई नहीं कर सकता। संविधान इसे अनुमति नहीं देता।
- आरोपी और दोषियों को भी आपराधिक कानून में सुरक्षा दी जाती है, लेकिन बुलडोर एक्शन इसके खिलाफ है।
- बुलडोजर एक्शन सामूहिक दंड देने जैसा है, संविधान इसे बिल्कुल स्वीकार्य नहीं कर सकता।
- चुनिंदा डिमोलेशन से सत्ता के दुरुपयोग पर सवाल उठता है और यह अनैतिक भी है।
- कानून का शासन किसी भी विवेकाधीन (मनमाने) निर्णय की अनुमति नहीं देता।
- अधिकारी यदि किसी नागरिक के घर को बिना निष्पक्ष सुनवाई के गिराते हैं तो यह संविधान का उल्लंघन होगा।
- किसी भी संरचना को गिराने से पहले नोटिस जारी करना अनिवार्य किया गया है। नोटिस में सुनवाई की तारीख और समय तय करना होगा।
- नोटिस और कार्रवाई की जानकारी डिजिटल पोर्टल पर उपलब्ध करानी होगी। ताकि, पारदर्शिता बनी रहे।
- हर मामले में व्यक्तिगत सुनवाई की तारीख तय की जानी चाहिए। ताकि, उचित सुनवाई हो सके।
- आदेश में अधिकारियों को यह भी स्पष्ट करना होगा कि किसी व्यक्ति के खिलाफ बुलडोजर एक्शन क्यों जरूरी है।
- कोर्ट ने कहा, केवल वे संरचनाएं गिराई जाएं, जो अवैध हों और जिनका समाधान नहीं किया जा सकता।
- केवल वही संरचनाएं गिराई जा सकती हैं, जो सार्वजनिक सड़क, रेलवे ट्रैक अथवा जल निकाय पर बनी हैं।
- बुलडोजर एक्शन से पहले आरोपी को अपील के लिए पर्याप्त समय देना होगा। बिना अपील किसी का घर गिराना न्यायसंगत नहीं है।
- घर के मालिक को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजना होगा। मकान के बाहर भी नोटिस चिपकाना अनिवार्य है।
- नोटिस के तामील होने के बाद 15 दिन का समय देना होगा। ताकि, आरोपी भी अपना पक्ष रख सके।
- मनमानी कार्रवाई पर अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उनका मुआवजा भी तय किया जाना चाहिए।