Youtuber  A Duraimurugan Sattai: तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 8 अप्रैल को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने वाले यूट्यूबर ए दुरईमुरुगन सत्ताई को दी गई जमानत बहाल कर दी। अदालत ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर आरोप लगाने वाले हर व्यक्ति को जेल नहीं भेजा जा सकता है।

कल्पना करें कि कितने लोगों को जेल होगी?
जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि कोई सबूत नहीं है कि ए दुरईमुरुगन सत्ताई ने स्वतंत्रता के अधिकारों का दुरुपयोग किया था। जस्टिस ओका ने एमके स्टालिन की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से पूछा कि अगर चुनाव से पहले हम यूट्यूब पर आरोप लगाने वाले सभी लोगों को सलाखों के पीछे डालना शुरू कर देंगे, तो कल्पना करें कि कितने लोगों को जेल होगी?

अदालत ने जमानत पर रहने के दौरान सत्तई पर निंदनीय टिप्पणी करने से परहेज करने की शर्त लगाने के अनुरोध पर भी विचार नहीं किया। जस्टिस ओका ने मुकुल रोहतगी को चुनौती देते हुए पूछा कि यह कौन निर्धारित करेगा कि कोई बयान निंदनीय है या नहीं।

हाईकोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती
यूट्यूबर सत्ताई ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी जमानत रद्द कर दी गई थी। हाईकोर्ट ने पाया था कि अदालत के समक्ष एक हलफनामा देने के तुरंत बाद सत्तई ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। सत्ताई ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। शीर्ष अदालत ने अगस्त 2021 में उन्हें दी गई जमानत जारी रखी। 

बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप को बिहारी श्रमिकों के एक वीडियो को पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन पर बिहार और तमिलनाडु में केस दर्ज हुए थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी।