Chunav 2024: लोकसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में है। 1 जून को लॉस्ट फेज की वोटिंग है। लेकिन इससे पहले ही बीजेपी और कांग्रेस अपने-अपने गठबंधनों की जीत के दावे करने लगे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि मोदी सरकार अपने अगले कार्यकाल में देश में समान नागरिक संहिता (UCC) और एक देश एक चुनाव लागू करेगी। अब इनका समय आ चुका है। शाह ने आगे कहा कि एक साथ चुनाव कराने से खर्च घटेगा।

एक चुनाव पहले कराएं तो एक साथ चुनाव संभव: शाह 
अमित शाह ने कहा कि अगर बीजेपी सत्ता में लौटती है तो बड़े पैमाने पर विचार-विमर्श के बाद अगले 5 साल के भीतर पूरे देश के लिए समान नागरिक संहिता लागू करेंगे। गर्मी की बजाय सर्दी या साल के अन्य समय में चुनाव कराने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा- "हम इस पर विचार कर सकते हैं। अगर हम एक चुनाव पहले कराते हैं, तो ऐसा किया जा सकता है। ऐसा होना चाहिए।" यह छात्रों के लिए भी छुट्टियों का समय है। वक्त के साथ चुनाव (लोकसभा) धीरे-धीरे इस मौसम (गर्मी के दौरान) में आ गया।''

'किसी धर्म के आधार पर कानून नहीं होना चाहिए'
गृह मंत्री शाह ने समान नागरिक संहिता पर कहा- "यूसीसी, एक प्रकार से हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा आजादी के बाद हम पर, हमारी संसद और राज्य विधानसभाओं पर छोड़ी गई एक जिम्मेदारी है। समान नागरिक संहिता भी संविधान सभा द्वारा तय सिद्धांतों में शामिल है। तब केएम मुंशी, राजेंद्र बाबू, डॉ. अंबेडकर जैसे कानूनी विद्वानों ने कहा था कि धर्मनिरपेक्ष देश में किसी धर्म के आधार पर कानून नहीं, समान नागरिक संहिता होनी चाहिए।''

'समान नागरिक संहिता पर व्यापक बहस जरूरी'
गृह मंत्री अमित शाह ने यूसीसी को लेकर कहा कि बीजेपी ने उत्तराखंड में एक प्रयोग किया है, जहां हमारी बहुमत की सरकार है क्योंकि यह राज्यों और केंद्र का विषय है। यूसीसी 1950 के दशक से हमारे एजेंडे में शामिल है और हाल ही में इसे उत्तराखंड में लागू किया है। मुझे लगता है कि समान नागरिक संहिता एक बड़ा सामाजिक, कानूनी और धार्मिक सुधार है। इसमें धार्मिक नेताओं से भी राय ली जानी चाहिए। उत्तराखंड सरकार ने जो मॉडल कानून बनाया है, उसमें अगर कोई बदलाव करना है तो इस पर व्यापक बहस होनी चाहिए। 

'लैंगिक समानता और महिला अधिकारों के लिए UCC जरूरी' 

  • आगे कोई न कोई इस मुद्दे को लेकर कोर्ट जरूर जाएगा। ज्यूडीशरी की भी राय मिलेगी। इसके बाद विधानसभाओं और संसद को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और एक कानून बनाना चाहिए। इसीलिए हमने अपने 'संकल्प पत्र' में लिखा है कि बीजेपी का लक्ष्य देश में समान नागरिक संहिता लागू करना है। यह काम अगले 5 साल में पूरा कर लिया जाएगा। 
  • बीजेपी मानती ​​​​है कि जब तक देश में समान नागरिक संहिता लागू नहीं होगी, महिलाओं को अधिकार और लैंगिक समानता नहीं मिल सकती है। एक देश एक चुनाव के लिए सभी स्तरों के चुनावों की समान मतदाता सूची का प्रावधान करने का भी वादा किया है।