राजेश जैन : नीट यूजी 2024 का रिजल्ट 14 जून को जारी होने वाला था, लेकिन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने बिना किसी सूचना के 4 जून को अचानक जारी कर दिया। परिणामों ने तब खलबली मचा दी, जब 67 स्टूडेंट्स ने 720 में से 720 का स्कोर हासिल कर लिया। इससे पहले से चल रही पेपर लीक की आशंकाओं को बल मिला और लोगों ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए। सोशल मीडिया के करीब सभी प्लेटफॉर्म पर नीट यूजी 2024 का रिजल्ट खूब ट्रेंड कर रहा है। कई सारे स्टूडेंट्स नीट यूजी 2024 के रिजल्ट को स्कैम बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई स्टूडेंट्स रिजल्ट में धांधली के आरोप लगा रहे हैं। एनटीए ने इस बीच बार-बार सफाई दी, लेकिन हर सफाई पर नए सवाल खड़े हो गए। सवालों की जांच के लिए एक कमेटी भी बनाई, एनटीए के मुखिया को ही उसका चेयरमैन बना दिया गया। गड़बड़ी को लेकर दिल्ली, भोपाल, वाराणसी समेत देशभर में हजारों छात्र-छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन किए हैं।
नीट-यूजी की पवित्रता प्रभावित हुई है
11 जून को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पेपर लीक के मामले में भले ही काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर एनटीए से कहा है कि नीट यूजी की पवित्रता प्रभावित हुई है। हमें इसका जवाब चाहिए। पेपर लीक जैसी गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली और कलकत्ता हाईकोर्ट में नई याचिकाएं दायर की गई हैं और एनटीए की साख दांव पर लगी हुई है। बीते साल नीट यूजी में शामिल अभ्यर्थियों के औसत मार्क्स 279.41 थे, जबकि इस बार यह बढ़कर 323.55 हो गए हैं। काट ऑफ में पहली बार एक ही साल में करीब 45 अंकों को जोरदार बढ़ोतरी देखने को मिली है। हालत यह है कि पिछले साल 600 नंबर पर कई जनरल बच्चों को सरकारी कॉलेज मिल गया था, इस साल 640 नंबर वाले को भी सीट नहीं मिलेगी। पिछले साल 612 नंबर पर करीब 26 हजार रैंक थी, इस साल 76 हजार स्टूडेंट्स ने यह नंबर हासिल कर लिए। टॉपर्स लिस्ट के सीरियल नंबर 62 से लेकर 69 के स्टूडेंट्स हरियाणा के एक ही सेंटर के हैं। इनमें किसी छात्र के नाम में सरनेम नहीं है।
शिकायतें भी सोशल मीडिया पर खूब की जा रही है
इन 8 में से 6 छात्रों को 720 में से 720 अंक हासिल हुए है, वहीं, अन्य दो को 719, 718 हैं। ऐसी ही गड़बड़ी यूपी, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और कर्नाटक के टॉपर्स के मामले में आई है। यूपी, तमिलनाडु और गुजरात में रैंक-1 वालों के रोल नंबर काफी करीबी हैं। यह समानता बताती है कि इन स्टूडेंट्स को संभवतः एक ही सेंटर अलॉट हुआ है और एक सेंटर्स से नीट के ज्यादा टॉपर्स निकले। सवाल यह भी उठ रहा है कि किसी भी स्टूडेंट को 720 में से 719 और 718 अंक कैसे मिल सकते हैं। नीट का रिजल्ट 14 जून को आना था, उसे आनन- फानन में 4 जून को तब जारी कर दिया गया जब देश लोकसभा चुनाव के परिणाम में उलझा हुआ था। आखिरी इतनी भी जल्दी क्या थी? इसके अलावा ओएमआर शीट अपलोड नहीं होने, फाड़ देने, जला देने, ओएमआर शीट और मार्कशीट में अलग अलग अंक होने की शिकायतें भी सोशल मीडिया पर खूब की जा रही है। स्टूडेंट्स का कहना है कि अगर कुछ सेंटर्स पर बच्चों का समय बर्बाद हुआ था तो उनको अतिरिक्त समय दिया जाता ग्रेस मार्क्स क्यों दिए गए।
ग्रेस मार्क्स देने के लिए कमेटी बनाई गई थी
मामले में पारदर्शिता नहीं बरती गई। बिना जानकारी के ग्रेस मार्क्स क्यों दिए गए। वे बिना ग्रेस मार्क्स के नीट की ओरिजिनल मेरिट लिस्ट जारी करने की मांग कर रहे हैं। एनटीए ने स्पष्टीकरण जारी कर बताया है कि 5 मई को परीक्षा के दौरान कुछ सेंटर्स पर बहुत से स्टूडेंट्स का समय बर्बाद हुआ था। इसको लेकर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट, दिल्ली व छत्तीसगढ़ में रिट पिटिशन दाखिल की गई थी। इसके चलते ग्रेस मार्क्स देने के लिए कमेटी बनाई गई थी। उसने एग्जाम सेंटर के सीसीटीवी और मौजूद कर्मचरियों की रिपोर्ट के आधार पर मूल्यांकन किया और यह मामला सही निकला।
धांधली होती है तो इनकी उम्मीदें टूट जाती हैं
इसके लिए नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला लागू किया गया जो कि 13 जून 2018 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद क्लेट एग्जाम में टाइम लॉस की स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया गया था। बहरहाल, नीट में कुछ छात्रों द्वारा असाधारण अंक प्राप्त करना सामान्य नहीं है। यह परीक्षा की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। स्टूडेंट्स और उनके माता-पिता कई उम्मीदों के साथ अपने बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाते हैं, लेकिन जब परीक्षा में धांधली होती है तो इनकी उम्मीदें टूट जाती हैं। इससे उन छात्रों के बीच निराशा पैदा कर दी है जो कठोर तैयारी के बावजूद कटऑफ से चूक गए। इससे मेडिकल शिक्षा प्रणाली में भरोसा भी कम होगा। विश्वास बनाए रखना और समान अवसर सुनिश्चित करना अहम है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार है. ये उनके अपने विचार है।)