Devtalav temple: मध्यप्रदेश में रीवा जिले के देवतालाब में भगवान शिव जी का ऐतिहासिक मंदिर है। जिसमें हर समय श्रद्धालुयों की भारी भीड़ आती है। मां शारदा ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषाचार्य डॉ मनीष गौतम महाराज ने बताया कि लाखों लोग देश-विदेश से भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं। लेकिन हर साल में सावन माह में तो श्रद्धालयों की भारी भीड़ जमा होती है।
विश्व का इकलौता एक पत्थर का बना मंदिर
देवतालाब मंदिर की मान्यता यह है कि इस मंदिर का निर्माण सिर्फ एक रात में हुआ था। ऐसा माना जाता है कि सुबह जब लोगों ने देखा तो यहां पर बहुत बड़ा मंदिर बना हुआ मिला था, लेकिन किसी ने इसको बनते हुआ नहीं देखा। कुछ जानकारों ने बताया कि मंदिर के साथ ही यहां पर अलौकिक शिवलिंग की स्थापना अपने आप हो गई थी। यह शिवलिंग बहुत ही रहस्यमयी है, जो दिन में चार बार अपना रंग बदलती है। एक ही पत्थर का बना हुआ विश्व का यह अद्भुत मंदिर सिर्फ देवतालाब में स्थित है
क्या है मंदिर की कहानी
मान्यता है कि भगवान शिव के परम भक्त महर्षि मार्कंडेय देव तालाब में भगवान शिव के दर्शन की इच्छा के लिए हठ योग के द्वारा यहां पर पूजा आराधना करने लगे। डॉ मनीष गौतम महाराज ने बताया कि महर्षि को दर्शन देने के लिए भगवान शंकर ने विश्वकर्मा भगवान को आदेश दिया। जिसके कारण वहां पर रातों-रात विशाल शिव मंदिर का निर्माण हुआ और अपने आप ही शिवलिंग की स्थापना हो गई।
मंदिर के नीचे मौजूद है चमत्कारिक नागमणि
एक मान्यता यह भी प्रचलित है, कि इस मंदिर के नीचे भगवान शंकर का एक दूसरा मंदिर भी है। इसमें चमत्कारिक नागमणि है। कई वर्षों पहले मंदिर के तहखाने से जब सांप, बिच्छू बहुत ज्यादा मात्रा में निकलने लगे, तो मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया गया। मंदिर के ठीक सामने एक राजा की गढ़ी मौजूद थी। ऐसा कहा जाता है, कि उस राजा ने जब इस मंदिर को धराशाई करने की योजना बनाई। उसी वक्त उसका पूरा वंश जमीन में दबकर नष्ट हो गया।
दर्शन करने से हो जाती है चारों धाम की यात्रा
इस शिवलिंग के अलावा रीवा महाराजा ने यहां पर चार मंदिरों का निर्माण करवाया। ऐसी मान्यता है कि देव तालाब मंदिर के दर्शन मात्र से चारों धाम की यात्रा पूरी हो जाती है। इस मंदिर से भक्तों की पुरानी आस्था जुड़ी हुई है। इसलिए यहां प्रतिवर्ष वृहद मेले का आयोजन सावन माह में किया जाता है। जिसमें लाखों श्रद्धालु मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं।
यहां पर जल चढ़ाने से पूरी होती है चारों धाम की यात्रा
देवतालाब शिव मंदिर भक्तों के लिए हमेशा से ही आस्था का केंद्र रहा है चारों धाम की यात्रा पर प्रेम पूर्वक जाने वाले श्रद्धालुओं की पूजा तब तक पूरी नहीं मानी जाती जब तक देवतालाब के शिव मंदिर में वह अपने हाथ से जल नहीं चढ़ा देते चारों धाम की यात्रा करने के बाद सीधे श्रद्धालु यहां आते हैं एवं भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं देश के कोने कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचकर भोलेनाथ का पूजा एवं आराधना करते हैं जिससे उनकी मनोकामना अवश्य ही पूरी होती है