Navratri Kanya Puja: चैत्र नवरात्र चल रही है। कन्या पूजन के बिना माता की पूजा अधूरी मानी जाती है। साधक लोग हर दिन कन्या का पूजन करते हैं। जबकि गृहस्थ लोग नवरात्र की अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन करते हैं। मां शारदा ज्योतिष पीठ के ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मनीष गौतम महाराज (कालीखोह) ने बताया कि कन्याओं को घर पर आदर के साथ बुलाकर उनकी पूजा की जाती है और फिर कन्या भोजन करवाया जाता है।

कन्या पूजन के बाद ही नवरात्र की पूजा संपन्न मानी जाती है। मान्यता है की मां दुर्गा के 9 स्वरूपों को मान कर कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में कोई भी परेशानी नहीं आती है। कन्या पूजन करते समय कुछ नियमों का विशेष ध्यान रखना जरूरा होता है और इन नियमों के तहत ही पूजन करना चाहिए। अगर आप भी अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन एवं उनका भोजन करवा रहे हैं, तो इन नियमों का विशेष ध्यान रखिए। ताकि नवरात्र में माता का पूर्ण आशीर्वाद आपको मिल सके।

कन्या पूजन में इन चीजों का रखें ध्यान
कन्या पूजन एवं भोजन में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए, कि कन्याओं की उम्र 2 से 15 साल के बीच ही होनी चाहिए। डॉक्टर मनीष गौतम ने बताया कि कन्या आपको जितनी मिल सके उतनी उनकी पूजा करनी चाहिए। कम से कम कन्याओं की संख्या नौ जरूर होनी चाहिए। यह नव कन्याएं मां दुर्गा के नव स्वरूप के रूप में मानी जाती हैं। उनके साथ एक बालक को भी जरूर भोजन करना चाहिए। वह बालक लंगूर या बटुक भैरव के रूप में माना जाता है। हर एक शक्तिपीठ की सुरक्षा के लिए महादेव ने एक-एक भैरव को रखा हुआ है। इसलिए देवी के साथ उनकी भी पूजा आराधना होती है। शक्तिपीठ की पूजा के बाद अगर आपने भैरव दर्शन नहीं किया है, तो माता के दर्शन पूरे नहीं माने जाते हैं।

इनकी पूजा से हर मनोकामना होती है पूरी
कन्या पूजन या भोजन करने से एक दिन पहले ही कन्याओं को सम्मान पूर्वक आमंत्रित करें। अगर आप अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन कर रहे हैं, तो सप्तमी तिथि को कन्याओं को एक दिन पहले आमंत्रित कर लें। अगर नवमी को कन्या पूजन कर रहें, तो अष्टमी तिथि को सम्मान पूर्वक उनको बुलाएं, साथ ही पूरे घर को साफ सुथरा करें। क्योंकि घर आने वाली कन्याएं माता का प्रतीक होती हैं। कन्या जब घर आ जाए तो उनको सीधे भोजन नहीं कराना चाहिए, बल्कि पहले उनका पैर धोना चाहिए। उसके बाद विधिवत् उनकी पूजा आराधना करना चाहिए। इसके बाद हल्दी कुमकुम का टीका लगाएं, फूल चढ़ाए, धूप दिखाएं, दीप दिखाएं और कुछ मीठा उनको खिलाएं। उसके बाद पूर्व की ओर मुख करके उनको स्वच्छ आसन में बिठाकर विधि विधान से कन्या भोज कराएं। इस तरह से कन्या भोजन करने से आपकी मनोकामनाएं माता रानी जरूर पूरी करेंगी।