Neem Karoli Baba: महान संत और अध्यात्म गुरु नीम करोली बाबा की ख्याति दुनियाभर में फैली हुई है। लाखों की संख्या में बाबा के अनुयायी उत्तराखंड स्थित उनके कैंची धाम पहुंचते है। बाबा भले ही आज शारीरिक रूप से मौजूद नहीं है, लेकिन उनके द्वारा दिए गए उपदेश जनमानस को कृतार्थ कर रहे हैं। महज 17 साल की उम्र में ज्ञान की प्राप्ति कर चुके नीम करोली बाबा ने सफल व्यक्तित्व बनने और खुशहाल जीवन जीने के लिए संसार को कई सीखें दी है। 

एक बार नीम करोली बाबा ने एक भारतीय लड़की से चार बार पूछा कि, 'तुम्हें दुःख पसंद है या खुशी?' बाबा के हर बार पूछने पर लड़की ने एक ही जवाब दिया और वो ये था कि 'मैंने कभी खुशी नहीं जानी महाराज, केवल दुःख।' अंत में बाबा ने कहा 'मुझे भी दुःख पसंद है क्योंकि यह ईश्वर के करीब ले जाता है।

नीम करोली बाबा के उपदेश
(Neem Karoli Baba Updesh) 

20वीं सदी के महान संत नीम करोली बाबा ने ईश्वर से मिलने के कई रास्ते बताये। उन्होंने अपने उपदेश कार्यक्रमों में कहा कि, व्यक्ति यदि ईश्वर के दर्शन करना चाहता है तो उसे अपनी सांसारिक इच्छाओं को मारना पड़ता है। इसके बाद उसे सभी के अंदर ईश्वर को देखना चाहिए। बाबा नीम करोली कहते थे कि, जो भी लोग व्यक्तिगत भेद और कर्म के आधार पर शिक्षा देने का काम करते है, वो ईश्वर के साथ धोखा करते है। ऐसे लोगों को ईश प्राप्ति नहीं होती है। 

कलयुग में हनुमान अंश कहे जाने वाले नीम करोली बाबा बताते थे कि, भगवान को देखने के लिए आपके पास विशेष आँखों का होना आवश्यक है। यदि ये आंखे आपके पास नहीं है, तो आप उनके तेज प्रकाश के सदमे को सहन नहीं कर सकेंगे। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।