Neem Karoli Baba: 20वीं सदी के महान संत और आध्यात्मिक गुरु नीम करोली बाबा ने अपना संपूर्ण जीवन सरल और सादगी के साथ व्यतीत किया। उन्होंने अपना पूरा जीवन बजरंग बली की भक्ति में समर्पित कर दिया था। यही कारण है कि, धरती पर रहते हुए बाबा नीम करोली ने अनुयायियों के बीच ऐसी पहचान बनाई कि, लोग भी उन्हें हनुमान जी का अंश मानने लगे थे। उनके अनुयायियों का कहना है कि, बाबा नीम करोली कलयुग के हनुमान ही थे। 

अधिकांश समय कंबल ओढ़कर रहने वाले बाबा नीम करोली को उनके भक्त आज भी श्रद्धापूर्वक कंबल ही अर्पित करते है। भले ही बाबा नीम करोली आज इस धरती पर शारीरिक तौर पर मौजूद नहीं है, लेकिन उत्तराखंड स्थित उनके कैंची धाम पर आज भी भक्त आकर उनकी समाधि स्थल के दर्शन करते है। साथ ही आश्रम से बाबा के उपदेश और सदमार्ग पर चलने वाली शिक्षाओं से स्वयं को अनुग्रहित करते है। बाबा के उपदेश आज संपूर्ण जनमानस में फैले है। 

कई सिद्धियों के स्वामी थे नीम करोली बाबा

सन 1973 में शरीर का त्याग करने वाले बाबा नीम करोली ने अपने सानिध्य में आने वाले हर व्यक्ति को बिना शर्त प्रेम दिया। यही नहीं, इसमें वे लोग भी शामिल रहे, जो उनसे कभी मिले ही नहीं। बताया जाता है कि, नीम करोली बाबा को कई सिद्धियाँ प्राप्त थी, जैसे कि 'एक समय पर दो स्थानों पर होना' और अपनी ऊँगली के स्पर्श मात्र से भक्तों को 'ईश्वर चेतना की स्थिति' में डाल देना आदि। बाबा नीम करोली ने जमानस को 'नरक के मार्ग' भी बताये। जानते है- 

नीम करोली बाबा के मुताबिक 'नरक के मार्ग' 

हिमालय वंश के महान भारतीय संत नीम करोली बाबा को उनके भक्त 'नीब करौरी बाबा' के नाम से भी जानते है। बाबा नीम करोली ने अपने जीवनकाल में भक्तों को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया। इसी दौरान उन्होंने कुछ ऐसी चीजें भी बताई, जो व्यक्ति को नरक के द्वार की तरफ ले जाती है। ये चुनिंदा  चीजें है - काम, लोभ, क्रोध और मोह। बाबा नीम करोली कहते थे कि, ये चारों कुरीतियां जिसमें भी वास करती है, वह व्यक्ति मरणोपरांत नरक ही जाता है।