Ekadashi Fast: हरिशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार महीने के लिए शयन करते हैं और संसार चलाने का कार्यभार भगवान शिव को देते हैं। बुधवार को हरिशयनी एकादशी के चलते इस दिन व्रत रखने से श्रद्धालुओं को सहस्र गोदान के बराबर फल मिलता है। इसके साथ ही आत्म संयम के पर्व चातुर्मास की शुरुआत होती है, जिससे आने वाले चार माह तक तप, साधना और उपवास और तीज-त्योहार का उल्लास छाएगा।
विष्णु-शयिनी एकादशी
संतों के सानिध्य में आत्म कल्याण के लिए साधक साधना में जुट जाएंगे। विद्वानों के मुताबिक इस समय को मांगलिक कार्यों से इतर धर्म-ध्यान और संतों की सेवा के लिए उपयुक्त माना गया है। पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 16 जुलाई रात 08:33 से शुरू हुआ और इसका समापन 17 जुलाई रात 9:02 पर होगा। उदया तिथि के चलते 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को योगनिद्रा एकादशी, देवशयनी एकादशी, विष्णु-शयिनी एकादशी और हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है।
दान-पुण्य से मिलता है लाभ
पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि एकादशी के अवसर श्रद्धालुओं को मंदिरों में जाकर भगवान के दर्शन करने के साथ दान-पुण्य करना चाहिए, जिसका अक्षय फल मिलता है। इसके अलावा बड़ी संख्या में भक्तगण घरों व मंदिरों में सत्यनारायण भगवान की कथा कराते हैं, तो वहीं देवशयनी एकादशी का पाठ किया जाता है। इससे भगवान श्रीहरि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
चातुर्मास प्रारंभ
एकादशी पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि व बुधादित्य योग रहता है। यह तीनों योग खरीदारी के लिए शुभ रहता है। दिन से चातुर्मास प्रारंभ होगा। चातुर्मास में हवन, पूजन, कथा सत्संग होते हैं। इन चातुर्मास में कथा प्रवचन कराने व श्रवण करने से पुण्य लाभ होते हैं।
चातुर्मास में प्रमुख त्योहार
चातुर्मास में कई प्रमुख त्योहार रहेंगे। इनमें देवशयनी एकादशी 17 जुलाई, गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई, हरियाली अमावस्या 4 अगस्त, नागपंचमी 9 अगस्त, रक्षाबंधन 19 अगस्त जन्माष्टमी 26 अगस्त, हर तालिका तीज 6 सितंबर, नवरात्रि प्रारंभ 3 अक्टूबर, शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर, करवा चौथ 20 अक्टूबर, धनतेरस 30 अक्टूबर, दीपावली 1 नवंबर, भाई दूज तीन नवंबर एवं प्रबोधिनी एकादशी 12 नवंबर को मनाई जाएगी।