Champions Trophy: चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए भारतीय टीम का ऐलान किया गया। इसमें करुण नायर और संजु सैमसन को जगह नहीं मिली। इससे भारतीय क्रिकेट फैंस में गुस्सा है। फैंस ने बीसीसीआई पर आरोप लगाया कि प्रतिभावान खिलाड़ियों के बजाय कम प्रतिभावान खिलाड़ियों को जगह दी गई। ऐसे में फैंस का कहना है कि एक तरफ आप सीनियर खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट खेलने के लिए दबाव बना रहे हो लेकिन दूसरी तरफ घरेलू क्रिकेट में परफॉर्म करने वाले खिलाड़ियों को मौका नहीं देते।

नायर ने घरेलू क्रिकेट में काफी अच्छा प्रदर्शन किया। हाल ही में समाप्त हुई विजय हजारे ट्रॉफी में करुण नायर ने सबसे ज्यादा 779 रन बनाए। खास बात यह है कि इस दौरान नायर की औसत 700 से अधिक की रही। वहीं, संजु सैमसन से साउथ अफ्रीका के खिलाफ टी-20 में 2 शतक ठोके थे। इससे पहले बांग्लादेश के खिलाफ भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। 

दरअसल, ऋषभ पंत की जगह संजु सैमसन को टीम में जगह देने की बात चल रही थी। फैंस का मानना है कि संजु पंत की तुलना में बेहतर फॉर्म में दिख रहे हैं। एक प्रशंसक ने अफसोस जताया कि बीसीसीआई ने संजू सैमसन पर विचार नहीं किया क्योंकि वह विजय हजारे ट्रॉफी से चूक गए थे, लेकिन करुण नायर को भी नहीं चुना, जिन्होंने उसी टूर्नामेंट में 700 से अधिक की औसत से रन बनाए थे। 

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संजू ने 2021 में अपना वनडे डेब्यू करने के बाद से 56.66 की औसत और 99.60 की स्ट्राइक रेट से 510 रन बनाए हैं, जिसमें दिसंबर 2023 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लगाया गया हालिया शतक भी शामिल है। इन प्रभावशाली आंकड़ों के बावजूद खुद को दरकिनार किया गया।

इस बीच करुण नायर ने विजय हजारे ट्रॉफी 2025 में शानदार प्रदर्शन करते हुए 389.5 की औसत से 779 रन बनाए। उनका फॉर्म ऐसा था कि इसने महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को सोशल मीडिया पर उनकी तारीफ करनी पड़ी। करुण के लिए यह अपमान घरेलू क्रिकेट प्रणाली के साथ विश्वासघात जैसा लगा।

फैंस का गुस्सा जाहिर 
एक निराश प्रशंसक ने सवाल किया कि खिलाड़ी अब घरेलू क्रिकेट क्यों खेलेंगे, जब आप बेहतरीन प्रदर्शन के बाद भी उनका चयन नहीं करेंगे? बीसीसीआई केवल आईपीएल खिलाड़ियों का चयन करता है। फैंस ने कहा- 'चैंपियंस ट्रॉफी 2025 टीम से करुण नायर का बाहर होना ये बताता है कि भारतीय क्रिकेट में योग्यता को हमेशा मौका नहीं मिलता है।' एक अन्य फैंस ने टिप्पणी की। 'करुण नायर को नहीं चुना जाना घरेलू क्रिकेट को अनिवार्य बनाने के आपके अपने नियम के खिलाफ जाने जैसा है।'