ind vs nz final: चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में अपने सभी मैच दुबई में खेलने को लेकर टीम इंडिया की आलोचना हो रही। हालांकि, हेड कोच गौतम गंभीर ने भारतीय टीम पर सवाल उठाने वालों पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि भारत को दुबई में खेलने का कोई अतिरिक्त फायदा नहीं मिला। अब इस पर दक्षिण अफ्रीका की मीडिया ने गंभीर को घेरा है और गंभीर के इस बयान को घमंड से भरा करार दिया।
भू-राजनीतिक कारणों से भारत ने इस टूर्नामेंट के लिए पाकिस्तान की यात्रा नहीं की, जिससे आईसीसी को भारतीय टीम के सभी मुकाबले दुबई में शेड्यूल करने पड़े। वहीं अन्य टीमों को पाकिस्तान और दुबई के बीच सफर करना पड़ा। खासतौर पर दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया को पहले दुबई लाया गया, फिर दक्षिण अफ्रीका को महज 12 घंटे के भीतर पाकिस्तान लौटना पड़ा। आलोचकों का मानना है कि भारत को दो तरह से फायदा हुआ—पहला, उसे यात्रा की असुविधा नहीं झेलनी पड़ी, और दूसरा, वह दुबई की कंडीशंस से अच्छी तरह वाकिफ हो गया।
गौतम गंभीर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया और आलोचकों को "हमेशा रोने वाले" करार दिया। उन्होंने कहा था,'कौन सा अनुचित लाभ? हमने यहां एक भी दिन प्रैक्टिस नहीं की। हम आईसीसी एकेडमी में अभ्यास कर रहे थे, और वहां की पिच और स्टेडियम की पिच 180 डिग्री अलग हैं।'
दक्षिण अफ्रीकी मीडिया वेबसाइट iol.co.za पर प्रकाशित एक लेख में गंभीर के बयान को "घमंड से भरा" करार दिया गया। रिपोर्ट में लिखा गया कि आईसीसी एकेडमी और दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम के बीच केवल कुछ सौ मीटर की दूरी है लेकिन गंभीर इसे 'जमीन और आसमान का अंतर' बता रहे हैं।
इसके अलावा, गंभीर को नासिर हुसैन और माइक एथर्टन पर उनकी तीखी टिप्पणी के लिए भी आड़े हाथों लिया गया, जिन्होंने सबसे पहले भारत के फायदे का मुद्दा उठाया था। रिपोर्ट में लिखा गया, 'यह एक बड़ा बयान है, खासकर जब यह साफ दिख रहा है कि एक ही स्थान पर रहना और एक ही स्टेडियम में खेलना अन्य टीमों की तुलना में लाभदायक है।'
भारत की जीत को खोखली कहा जाएगा
भारत रविवार को फाइनल में न्यूजीलैंड का सामना करेगा, जहां टीम टूर्नामेंट में अब तक के अपने अजेय प्रदर्शन को जारी रखना चाहेगी। लेकिन रिपोर्ट में कहा गया कि अगर भारत खिताब जीतता भी है, तो भी इसे "होलो विक्ट्री" यानी खोखली जीत माना जाएगा।
रिपोर्ट में आगे कहा गया, 'रविवार को जब गंभीर विजेता ट्रॉफी को दुबई की रात में उठाएंगे, तो उन्हें यह एहसास होगा कि उनकी जीत को हमेशा सवालों के घेरे में देखा जाएगा। चाहे वे कितने भी तीखे बयान दें, हर बार जब वे अपने लिविंग रूम में उस विजेता पदक को देखेंगे, उन्हें इस जीत से जुड़ी बहस याद आएगी।'