गौरव शर्मा-रायपुर। कवर्धा के लोहारीडीह गांव में कल तक बच्चों की अठखेलियां और बुजुर्गों के किस्से सुनाई देते थे, लेकिन आज इस गांव में मातम पसरा है। वर्चस्व की आग और रंजिश की ज्वाला में लोहारीडीह ऐसा झुलसा कि गांव का गांव जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया। जो बच गए उन्हें गांव छोड़कर भागना पड़ा। आज इस गांव के अधिकतर घरों में ताले लटके हैं। कुछ घरों में बच्चे और बुजुर्ग तो हैं पर यहां सन्नाटा पसरा है। दरअसल, शिवप्रसाद और रघुनाथ के बीच प्रतिशोध की ज्वाला 5-6 साल पहले से धधक रही थी। रघुनाथ की पत्नी गांव की सरपंच थी, लेकिन तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और शिवप्रसाद समाज का पदाधिकारी होने के साथ ही कांग्रेस का समर्थक भी था। जबकि रघुनाथ की करीबी भाजपा के नेताओं से थी। यही वजह है कि रघुनाथ की पत्नी को सरपंच पद से हटाने अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। 

रघुनाथ की पत्नी सरपंच के पद से तो हट गई, लेकिन रघुनाथ उपसरपंच के पद को बचाने में सफल रहा। रघुनाथ मानता था कि उसकी पत्नी को कुर्सी से हटाने की साजिश के पीछे शिवप्रसाद का हाथ है इसलिए दोनों के बीच रंजिश पलती रही।  शिवप्रसाद की बेटी बताती है कि, कुछ महीनों पहले रघुनाथ ने शिवप्रसाद को मारने की धमकी दी थी। इसकी जानकारी गांव के लोगों को भी थी। यही नहीं, सामाजिक और आर्थिक विषयों को लेकर भी दोनों के बीच रंजिश काफी वक्त से चल रही थी। इसीलिए दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ अलग - अलग मामलों में अपराध भी दर्ज कराए, जेल भी गए और समझौता कर बाहर भी आ गए। कुछ महीने पहले दोनों के बीच मारपीट की घटना हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया था। यही वजह है कि हरिभूमि की टीम ने जब शिवप्रसाद की बेटी खिलेश्वरी से बात की तो उसने दो टूक लहजे में पिता की मौत के लिए रघुनाथ को जिम्मेदार ठहराया। जबकि रघुनाथ के बेटे विनोद का कहना है उसके पिता ने अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाई, इससे अवैध शराब बिक्री करने वाले लोग उनके खिलाफ हो गए।

इसे भी पढ़ें...लोहारीडीह में दहशत का माहौल : गांव छोड़कर भागे लोग, घरों में लटके ताले, मृतक का हुआ अंतिम संस्कार

मोबाइल छीना, सीसीटीवी को जलाया

शिवप्रसाद की मौत के बाद रघुनाथ के घर पहुंचे ग्रामीण आक्रोशित तो थे पर सारी घटनाओं को रणनीति के तहत अंजाम दिया। इसीलिए जब पुलिस टीम गांव पहुंची और वीडियो बनाने की कोशिश की तो ग्रामीणों ने पुलिस के हाथ से मोबाइल छीन लिया। इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने सीसीटीवी कैमरे को भी आग के हवाले कर दिया। हालांकि पुलिस अधिकारियों का दावा है कि डीवीआर घटना की रात ही जब्त कर लिया गया था। रणनीति के तहत ग्रामीणों ने पुलिस को भटकाने की भी कोशिश भी की। अफसरों को बताया गया कि रघुनाथ टंगिया लेकर खेत की तरफ चला गया है। हालांकि पुलिस टीम सही समय पर घटनास्थल पर पहुंच गई और रघुनाथ की पत्नी और परिवार को बचाने में सफल रही।

दोनों को ले डूबी सरपंच बनने की चाह

लोहारीडीह में सामने आई घटना के पीछे राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी बड़ी वजह थी। रघुनाथ की पत्नी पहले सरपंच थी और उसे अपदस्थ कर दिया गया था। ऐसे में रघुनाथ फिर से सरपंच बनने की चाह लिए गांव में वर्चस्व बढ़ाने की कोशिश करता रहा। इस बीच शिवप्रसाद भी सामाजिक और राजनीतिक माध्यमों से महत्वाकांक्षा पूरी करने सियासी दांव चलता रहा। दोनों की ही  इच्छा सरपंच बनकर गांव में वर्चस्व कायम करने की थी। इस वजह से दोनों एक दूसरे के दुश्मन बन बैठे, लेकिन दोनों का ही सरपंच बनने का सपना टूट गया और पूरे घटनाक्रम का दुखद अंत हुआ।

इसे भी पढ़ें...कवर्धा में बवाल : युवक का शव मिलने के बाद लोगों ने एक ग्रामीण का घर फूंक डाला, एसपी को गांव में घुसने से रोका

सामाजिक राजनीति से भी बढ़ीं दूरियां

शिवप्रसाद साहू समाज का मंडल अध्यक्ष था। न सिर्फ अपने गांव बल्कि आसपास के गांवों में भी समाज के लोगों के बीच उसकी अच्छी पकड़ थी। जबकि समाज में रघुनाथ साहू की छवि कमजोर थी। इससे दोनों के बीच दूरियां काफी बढ़ गई।

दो साल पहले भी लगी थी आग

ग्रामीणों ने बताया कि रघुनाथ के भाई शनुक साहू के घर में 2 साल पहले भी आगजनी की घटना हुई थी। हालांकि इस घटना में जनहानि तो नहीं हुई पर परिवार को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। पुलिस अधिकारियों ने भी इस घटना की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि रघुनाथ के भाई से भी गांव के कुछ लोगों की दुश्मनी थी। एक बार फिर इसी तरह की घटना हुई लेकिन इस बार रघुनाथ की जान चली गई।

600 की आबादी

गांव की आबादी 600 के आसपास है। इस जघन्य अपराध के बाद पुलिस ने 161 पर नामजद केस दर्ज किया है। कई अज्ञात हैं और थोक में हिरासत में भी लिए जा चुके हैं। बड़ी संख्या में लोग भूमिगत भी हो गए हैं। एक तरह से कहा जा सकता है कि आधा गांव जेल के रास्ते है।