इमरान खान- नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में 30 साल बाद अबूझमाड़ का एक बाजार गुलजार हो गया है। नक्सलियों के आतंक का खौफ खत्म होने के बाद गांव में खुशी का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। घर से बेघर हुए लोग वापस अपने गांव लौटने लगे हैं। नक्सली फरमान के बाद 30 साल पहले गारपा के बाजार को बंद कर दिया गया था, जिसकी वजह से लोगों को रोजमर्रा का सामान लेने के लिए 35 किमी. दूर जिला मुख्यालय का सफर करना पड़ रहा था। सरकार की पहुंच होने के बाद गांव अब धीरे-धीरे आबाद होने लगा है।
अबूझमाड़ के ग्राम गारपा और आस पास क्षेत्र के ग्रामीणों की मांग पर नारायणपुर पुलिस के प्रयासों से गारपा में गुरुवार से साप्ताहिक बाजार लगना प्रारंभ हुआ है। अब क्षेत्र के ग्रामीणों को दैनिक उपयोगी सामाग्री के लिए जिला मुख्यालय नारायणपुर या कहीं अन्यत्र दूर जाना नहीं पड़ेगा। इससे उनके समय की भी बचत होगी और आसानी से ग्राम गारपा के साप्ताहिक बाजार में जरूरत के सभी सामान मिल जायेगी।
नक्सलियों ने कराया था बंद
कई वर्ष पूर्व ग्राम गारपा में बाजार लगता था, किन्तु नक्सलियों द्वारा क्षेत्र के ग्रामीणों व व्यापारियों को डरा धमकाकर गारपा बाजार बंद करवा दिया गया था। जहॉ पर पुनः बाजार लगना प्रारंभ हुआ है। अब आदिवासी परम्परा के अनुसार हाट-बाजार, मड़ई-मेला माड़ क्षेत्र में पुनः प्रारंभ होगी अब लोगों के चेहरों में खुशियां देखने मिल रही है।
सड़क बनने से लौटीं खुशियां
ग्राम गारपा में पुलिस जन सुविधा एवं सुरक्षा कैम्प स्थापित होने के पश्चात नारायणपुर जिला प्रशासन एवं नारायणपुर पुलिस के प्रयासों से जल्द ही रोड निर्माण कराया गया और कोण्डागांव-नारायणपुर को सोनपुर होते हुए सितरम तक जोड़ने वाली प्राचीन सड़क जो नक्सलवाद प्रकोप से 30 साल मे बंद पड़ी थी जिसमें बस सुविधाए प्रारंभ हुई हैं। क्षेत्र के ग्रामीण अब जिला मुख्यालय नारायणपुर तक बस सुविधा का लाभ ले रहे हैं। इस रोड में यात्री बस एवं निजी गाड़िया भी दौड़ रही हैं।
ग्रामीणों का समझ में आ रहा विकास
विकास और नक्सल विरोधी अभियान के मिश्रण से नक्सलियों का प्रभाव क्षेत्र में लगातार घट रहा है। ग्रामीणों में विकास की उम्मीद और मांग दोनों बढ़ रही है। बहुत जल्द ही अन्य पहुंचविहीन क्षेत्रों में भी सड़क निर्माण के साथ -साथ विकास की अन्य योजनाओं और परियोजनाओं को तेजी से पहुंचाया जाएगा।