प्रेमलाल पाल-धरसींवा। धरसींवा से लगे तिवरैया में भू माफियाओं ने किसानों से उनकी जमीन कम कीमत में खरीद ली। इसके बाद शासकीय नियमों को ताक पर रख कर व्यपरिवर्तित किए बिना अवैध प्लाटिंग कर बेचा जा रहा है जो न सिर्फ जमीन लेने वालों को बल्कि ग्रामीण प्रशासनिक व्यवस्था को भी प्रभावित कर रहा है। दूसरे प्रदेश से आए लोगों को बसाने और शासकीय राजस्व का नुकसान कर ग्रामीणों को भी धोखा दे रहे हैं। 

इस मामले में धरसींवा तहसीलदार ने बकायदा कार्रवाई भी की लेकिन यह कार्रवाही भी नाम मात्र की ही थी। जमीन दलाल अभी भी सक्रिय है। वहीं धरसींवा, देवरी, तिवरैया में अवैध प्लॉटिंग को लेकर लगातार क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि ने जिला कलेक्टर से शिकायत की थी। इसके बाद कलेक्टर ने सभी तहसील कार्यलयों में जांच के आदेश दिए थे। जांच के बाद भी क्या कार्रवाई हुई, क्या रिपोर्ट रही और किन्हें नोटिस मिली इसका कुछ भी पता नहीं चल सका और यह अवैध धन्धा चरम पर चल रहा है। 

जमीन पर की जा रही अवैध प्लाटिंग

भू माफियाओं को मिला है संरक्षण 

छुट्टभैया नेताओं को जेब भरने के लिए वसूली से फुरसत नहीं है। अधिकारी जांच और कार्रवाई का दिखावा तक नहीं कर पा रहे। भू माफिया को संरक्षण मिला हुआ है। वहीं दूसरी तरफ लगातार कृषि भूमि उद्योगपति और अवैध प्लाटिंग के भू माफिया हड़प रहे हैं। 

कलेक्टर के आने की सूचना पर लगाया था बोर्ड, बादमें गायब 

तश्वीर में दिख रही है फ़ोटो 7 अगस्त की है। रोचक बात तो यह है कि, इस जमीन पर तहसीलदार ने खुद बोर्ड लगाया था। दूसरे दिन ग्राम पंचायत तिवरैया में जिला स्तरीय कलेक्टर जनदर्शन था लेकिन दूसरे ही दिन वहां से बोर्ड गयाब हो गया था। 

राजस्व विभाग करेगा प्रदर्शन - कसार 

वही ब्लॉक मुख्यालय धरसींवा के जनपद सदस्य भूपेंद्र कसार ने कहा कि, कार्रवाई के नाम पर अब तक केवल खाना पूर्ति हुई है। छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 172 के तहत बिना व्यपवर्तन के प्लाट की बिक्री कार्यवाही अब तक नहीं हुई है। इसके बाद भी खरीदी-बिक्री हो रही है और विभाग भी प्रामाणिकरण कर रहा है। पूरे मामले में राजस्व विभाग ने जानकारी लेकर प्रदर्शन करने की बात कही है। कार्यवाही के नाम पर जिला स्तर के अधिकारी के आने से पहले बस बोर्ड लगाया जाता है। ग्राम की शासकीय और घास भूमि की अवैध कालो नाइजर द्वारा दबाकर बिक्री की जा चुकी है।

खेत-खलिहान में बन रहे मकान

नियमानुसार कालोनाइजर एक्ट के तहत सभी औपचारिकता पूरा करने के बाद जमीन की खरीदी बिक्री होनी चाहिए। लेकिन बिना पंजीयन के ही न केवल आवासीय कालोनी विकसित हो रहे हैं बल्कि खेत-खलिहान का आवास के रूप में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग भी हो रही है।

यहां है अवैध प्लाटिंग का जोर

देवरी, धरसींवा, तिवरैया आदि स्थानों पर अवैध प्लाटिंग की जा रही है। मामला संज्ञान में होने के बाद भी अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। इस स्थान पर धड़ल्ले से जमीन खरीदने वालों को ठगा भी जा रहा है।

कटते पेड़, जड़ से उखड़ता पर्यावरण

पर्यावरण से पृथ्वी का गहरा नाता है। इस रिश्ते की डोर को सबसे मजबूती से जिसने बांधे रखा है वे पेड़ हैं। लेकिन जमीन दलाल प्लाटिंग के अवैध खेल में अपने मुनाफ़े के लिए दरख्तों की बेहिसाब कटाई से भी नही हिचक रहे हैं। बेवजह पेड़ काटने और कटवाने वालों पर सख्त कार्रवाई के सरकारी आदेश रद्दी की टोकरी में डाल दिए गए हैं।

जमीन दलाल सक्रिय

इन दिनों अवैध रूप से प्लाट काटकर बेचने का कारोबार बेखौफ किया जा रहा है। मुनाफा कमाने के फेर में खरीददार को लोकेशन का सब्जबाग दिखा कर बगैर अनुमति और डायवर्सन जमीन की खरीदी-बिक्री की जा रही है। वहीं एक ही जमीन के कई-कई दलाल सक्रिय रहते हैं, जो अपने-अपने तरीके से ग्राहक को फंसाने की फेर में लगे रहते हैं।

अवैध प्लाटिंग हुई है तो कार्रवाई भी होगी- तहसीलदार 

वहीं इस मामले मे धरसींवा तहसीलदार से जवाब माँगा गया तो उन्होंने कहा कि, अवैध प्लाटिंग का खेल चल रहा होगा तो बिलकुल कड़ी कार्रवाई होगी।