कुश अग्रवाल- बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के प्रधानमंत्री आवास योजना में ग्रामीण इलाकों में इसका दुरुपयोग अतिक्रमण के रूप में हो रहा है। कई हितग्राही अपनी निजी जमीन के दस्तावेज पंचायत में जमा करते हैं। वे अपना मकान निस्तार भूमि या गांव की खाली पड़ी जमीन पर बनाते हैं। इससे गांव के संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है और पंचायतों में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
निजी जमीन होने के बावजूद निस्तार भूमि पर कब्जा करने का मुख्य कारण शासन की उदासीनता है। सरकारी अधिकारी अक्सर इन मकानों को नियमित कर देते हैं, जिससे अतिक्रमणकारियों के हौसले बढ़ते हैं। इससे न केवल निस्तार भूमि खत्म हो रही है, बल्कि ग्रामीण संसाधनों के दुरुपयोग का खतरा भी बढ़ रहा है। गांव के सरपंच और ग्रामीणों के बीच विवाद बढ़ने के कारण सामाजिक असंतुलन की स्थिति बन रही है। राजस्व अमला जोबतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करता है तो विवाद की स्थिति भी निर्मित होती है। अतिक्रमण के पहले ही पंचायत अगर कार्रवाई करे तो अतिक्रमण करने वालों के हौसले पस्त तो हो सकते हैं।
सख्त निगरानी और कार्रवाई की आवश्यकता
इस समस्या के समाधान के लिए सख्त निगरानी और कार्रवाई आवश्यक है। पंचायत और प्रशासन को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए कि, वे निस्तार भूमि की सुरक्षा करें और अतिक्रमण पर रोक लगाएं। योजना का लाभ उन्हीं लोगों को दिया जाना चाहिए, जो अपनी निजी जमीन पर मकान बनाने को तैयार हों। इसके अलावा, ग्रामीणों को जागरूक किया जाए कि निस्तार भूमि पर कब्जा करना न केवल अवैध है, बल्कि भविष्य में गांव के विकास में बाधा भी बन सकता है।
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आवास में पारदर्शिता जरुरी
यदि समय पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह समस्या ग्रामीण समाज के संतुलन को प्रभावित करेगी और योजनाओं के उद्देश्य को विफल कर देगी। योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन तभी संभव है जब उनके साथ पारदर्शिता और जिम्मेदारी हो।