बिलासपुर। गरीब भूमिहीन किसानों को 5 मई 1997 को आवंटित की गई शासकीय भूमि का कब्जा दिलाने के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मुंगेली जिले के कलेक्टर और तहसीलदार को नोटिस जारी करते हुए निर्देश दिया है कि किसानों की पट्टे वाली जमीन को राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर बटांकन और सीमांकन की प्रक्रिया पूरी की जाए। इसके बाद याचिकाकर्ताओं को उनकी भूमि का वास्तविक कब्जा दिलाया जाए।
याचिका के मुताबिक रामेश्वर पुरी गोस्वामी और उमेद राम यादव सहित 18 किसानों ने अधिवक्ता मिर्जा हफीज बेग के माध्यम से हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि ग्राम परसवारा, तहसील लोरमी की शासकीय भूमि (रकबा 15/1, कुल 118 2510 हेक्टेयर) में से एक-एक एकड़ जमीन गरीब भूमिहीन किसानों को आवंटित की गई थी। 28 साल बीतने के बाद भी यह भूमि राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं की गई, जिससे किसान अपने हक से वंचित रह गए। इस अवधि में किसानों ने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। इस बीच, वन विभाग के अधिकारियों ने किसानों को भूमि पर पौधे लगाने से भी रोक दिया, जिससे उनकी आजीविका पर संकट मंडराने लगा।
भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए
किसानों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रशासन को निर्देश दिया कि भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए और जल्द से जल्द सीमांकन एवं बटांकन की प्रक्रिया पूरी की जाए। कोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने 16 अगस्त 2022 को इस प्रक्रिया की शुरुआत की थी, लेकिन अब तक किसानों को पूरी तरह से कब्जा नहीं मिल पाया था। याचिका में कहा गया कि यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और सरकारी नीतियों के धीमे क्रियान्वयन का बड़ा उदाहरण है। गरीब किसान 28 वर्षों से अपनी जमीन के लिए संघर्ष कर रहे थे, लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण वे अपने हक से वंचित रहे।