रायपुर। राज्य के चर्चित नान घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू में दर्ज केस सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया है। इस संबंध में राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी की है। पूर्ववर्ती सरकार में महाधिवक्ता रहे सतीश चंद्र वर्मा के साथ पूर्व दो आईएएस डॉ. आलोक शुक्ला तथा अनिल टुटेजा जांच के घेरे में हैं। इन तीनों पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गवाहों के बयान बदलवाने के आरोप हैं। गौरतलब है कि ईडी के प्रतिवेदन पर ईओडब्ल्यू ने चार नवंबर को एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी।

 ईओडब्ल्यू एफआईआर की में दोनों पूर्व आईएएस तथा पूर्व महाधिवक्ता आरोपी बनाए गए हैं। इन तीनों के खिलाफ वाट्सएप चैट मिलने के बाद ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की थी। ईओडब्ल्यू में दर्ज एफआईआर के मुताबिक पूर्व आईएएस ने तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के प्रभाव का इस्तेमाल कर लाभ लिया। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में काम करने वाले उच्चाधिकारियों से प्रक्रियात्मक दस्तावेज और विभागीय जानकारी में बदलाव करवाया। ताकि हाईकोर्ट में वे अपना पक्ष मजबूती से रख सकें और उन्हें अग्रिम जमानत मिल सके।

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क्या है नान घोटाला?

ईओडब्ल्यू तथा एसीबी की टीम ने 12 फरवरी 2015 को नागरिक आपूर्ति निगम के मुख्यालय सहित अधिकारी, कर्मचारियों के 28 ठिकानों में एक साथ छापे की कार्रवाई की थी। छापे में करोड़ों रुपए की नकदी, कथित भ्रष्टाचार से संबंधित कई दस्तावेज, डायरी, कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क समेत कई दस्तावेज जांच एजेंसी ने जब्त किए। आरोप था, राइस मिलों से घटिया चावल लेने के बदले अफसरों द्वारा राइस मिलरों से करोड़ों रुपए रिश्वत ली गई चावल के भंडारण और परिवहन में भी भ्रष्टाचार करने के आरोप लगे। शुरुआत में शिवशंकर भट्ट सहित 27 लोगों के खिलाफ मामला चला। बाद में निगम के तत्कालीन अध्यक्ष और एमडी का नाम भी आरोपियों की सूची में शामिल हो गया।

हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत

नान घोटाला मामले को लेकर ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज किया, उसके बाद पूर्व महाधिवक्ता ने अग्रिम जमानत के लिए रायपुर की निधि शर्मा की स्पेशल कोर्ट में जमानत अर्जी लगाई थी। स्पेशल कोर्ट में जमानत खारिज होने के बाद पूर्व महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भी अग्रिम जमानत आवेदन खारिज कर दिया।

अप्रैल में ईडी ने भेजा था प्रतिवेदन

सतीश चंद्र वर्मा, डॉ. आलोक शुक्ला तथा अनिल टुटेजा के खिलाफ ईडी ने नान घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू को अपराध दर्ज करने दो अप्रैल को प्रतिवेदन भेजा था। ईडी ने अपने प्रतिवेदन में घोटाले से संबंधित रिपोर्ट, दस्तावेज भेजे थे, जिसमें ईडी ने अपनी जांच के दौरान जब्त डिजिटल डिवाइस से मिली जानकारी और वॉट्सऐप चैट की जानकारी भेजी थी। इसमें बताया गया था कि हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत लेने के लिए अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया था।