रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को प्रदेश के विश्वविद्यालयों में शोधपीठ का मसला उठा। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने पूछा- शोधपीठों के अंतर्गत क्या काम हुए, कितना बजट दिया गया? इस पर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा- गठन का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ।
मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि, जबसे शोधपीठों का गठन हुआ, तबसे ही इनमें पद रिक्त हैं। इस पर भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा- जब इन्होंने उद्देश्य पूरा नहीं किया तो 3 साल में 146 करोड़ से ज्यादा की राशि अनुदान के तौर पर क्यों दी गई? इस सवाल के जवाब में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा- विश्वविधलयों को अनुदान मिला है, शोधपीठों को कोई अनुदान नहीं दिया गया है।
संत कबीर पर एक साल में 3 किताबें?
तब फिर से अजय चंद्राकर ने अपना सवाल आगे बढ़ाते हुए कहा कि, संत कबीर पर एक ही साल में 3 किताबें लिखी गईं, छपवाई कहां से गईं? कर्मचारी-अधिकारी नहीं है तो छपाई कैसे हई? ये रिकॉर्ड हुआ कि, एक साल में 3 किताबें छाप दी गईं। इस पर बृजमोहन अग्रवाल ने जवाब देते हुए कहा- इसमें शासन का पैसा खर्च नहीं हुआ है। जिन विद्वानों ने छपवाया है उन्होंने खर्च किया होगा।
छत्तीसगढ़ी के नाम पर पिछली सरकार ने गुमराह किया: बृजमोहन
अपने जवाब को विस्तार देते हुए बृजमोहन अग्रवाल ने कहा- पिछले 5 साल में शोधपीठों ने काम नहीं किया। आगे शोधपीठों का सुचारू रूप से संचालन सुनिश्चित किया जाएगा। तब एक बार फिर से अजय चंद्राकर ने कहा- एक साल में 3 किताब जादू से लिख दिए गए? इस पर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा- गुरु घासीदास शोधपीठ सहित कई शोधपीठ के अध्यक्ष ही नहीं बनाए गए। सिर्फ छत्तीसगढ़ी के नाम पर पिछली सरकार ने गुमराह किया। जिन 3 किताबों को लिखा गया है, वो मुझे भी लगता है शायद जादू से लिखी गई है, हम पता करेंगे इसके बारे में।
महंत ने पूछा- किन महाशय ने लिखा, उनका नाम बताइए
इस पर हस्तक्षेप करते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर चरणदास महंत ने कहा- विद्वान लेखक का नाम भी बता दीजिए मंत्रीजी। अगर किताब छपी है तो इसे सदन में बंटवा दीजिए, नहीं तो वस्तुस्थिति बताइए। किताब सिर्फ लिखा है कि, छपा भी है? बृजमोहन अग्रवाल ने कहा- मैंने जवाब दे दिया है, विभाग इन तीनों किताबों के बारे में पता करेगा। संत कबीर के नाम पर भी पिछली सरकार में गड़बड़ी हुई है। किताब मिल गई तो बंटवा देंगे।