रायपुर। छत्तीसगढ़ में आज लोकपर्व छेरछेरा धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व पौष महीने की पूर्णिमा को हर साल मनाया जाता है। इस दिन सभी घर के बच्चे इक्कठा होकर घर -घर जाकर छेरछेरा (धान ) मांगते है। इस अवसर पर लोग भी ख़ुशी- ख़ुशी अपने घर के धान को दान के रूप में छेरछेरा मांगने वाली टोलियों को देते हैं। वहीं इस अवसर पर सीएम विष्णुदेव साय ने प्रदेशवासियों को बधाई दी है।
छत्तीसगढ़ में छेरछेरा त्योहार नया फसल होने की ख़ुशी में विशेष रूप से मनाया जाता है। यह वह समय होता है जब धान की कटाई और मिसाई का काम पूरा हो जाता है। वहीं अपनी सालभर के मेहनत को किसान कोठी ( धान भंडारण करने की जगह ) में रखता है। वास्तव में यह पर्व दान देने का पर्व है। किसान अपने खेतों में सालभर मेहनत करने के बाद अपनी मेहनत की कमाई धान दान देकर छेरछेरा त्यौहार मनाते हैं।
लोकगीत गाकर मांगते हैं छेरछेरा
छेरछेरा के दिन घरों में धान मांगने वाली टोलियों की कतार लगी होती है। सुबह से ही बच्चे, युवक और युवतियां हाथ में टोकरी,बोरी लेकर घर-घर छेरछेरा मांगने जाते हैं। इस दौरान ये टोलियाँ गोल घेरा बनाकर छेरछेरा गीत...छेर छेरा माई कोठी के धान ला हेर हेरा, गाते हुए धान मांगती है। लोकपर्व में लोकगीत के माध्यम से इस पर्व का वर्णन किया जाता है। वहीं गीत के ख़त्म होने के बाद किसान अपने माई कोठी ( भंडारण की जगह ) से धान को निकालकर दान के रूप में देते हैं। जरुरी नहीं होता है की धान ही दिया जाए कई घरों में अन्न में या पैसा भी देते हैं।
सीएम साय ने प्रदेशवासियों को दी बधाई
छेरछेरा पर्व के अवसर पर सीएम साय ने प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए लिखा...आप जम्मो भाई-बहिनी, सियान-संगवारी मन ल लोक परब छेरछेरा के गाड़ा-गाड़ा बधई अउ सुभकामना। छेरछेरा तिहार दान-पुन के परब हरय। हमर छत्तीसगढ़ म दान के बहुत पुराना परंपरा हवय। संगवारी हो, हमर परंपरा ल हमन ल सहेज के रखना हे। छत्तीसगढ़ महतारी अउ माता शाकम्भरी के कृपा ले हमर छत्तीसगढ़ म खुशियाली अउ हरियाली बने रहे, इही कामना हे।