रायपुर। छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज के बयान ने छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश में हलचल मचा दी है। डॉ. सलीम ने कहा है कि मुतवल्लियों ने मस्जिदों को राजनीति का अड्डा बना रखा है। नमाज के बाद वे राजनीतिक भाषण देते हैं। केंद्र सरकार के खिलाफ अधूरी जानकारियां देकर भ्रम फैलाने का काम करते हैं। अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने मुतवल्लियों को निर्देश दिया है कि जुमे की नमाज से पहले दिए जाने वाले भाषणों की सामग्री वक्फ बोर्ड को अवगत कराई जाए और उसकी सहमति ली जाए। 

इस निर्देश के बाद विवाद बढ़ गया है। मामले में डॉ. सलीम राज ने कहा कि, 22 नवंबर से इसका पालन नही करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। हरिभूमि से चर्चा करते हुए कहा डॉ. सलीम ने कहा कि, हम सभी का सम्मान करते हैं। सभी की स्वतंत्रता की भी इज्जत करते हैं। लेकिन यह देखा जा रहा है कि मस्जिदों को राजनीति का अड्डा बनाया जा रहा है। हमारा निर्देश उसी के खिलाफ है। 22 नवंबर के बाद मस्जिदों में नमाज के पहले राजनीतिक या भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस निर्देश के बाद मुस्लिम समाज के लोगों में मामले को लेकर आक्रोश है। उनका कहना है कि मस्जिदों को ऐसा निर्देश वक्फ बोर्ड जारी नहीं कर सकता।

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छत्तीसगढ़ में आग न लगाए औवेसी : झा

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज कुमार झा ने ओवैसी की आलोचना को खारिज करते हुए कहा, सबसे पहली बात तो यह कि वक्फ बोर्ड किसी सरकार के सीधे अधीन नहीं होता। छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड में अभी अधिकतर सदस्य कांग्रेस द्वारा नियुक्त किए ही हैं। काफी हद तक यह स्वायत्त होता है। आपसे बड़ा ही कोई दीनी होगा, जो उसके सदर होंगे। दीन और कथित ईमान के बारे में आपसे बोर्ड को सीखने की जरूरत तो होगी नहीं। जहां गुंडागर्दी से अपनी निजाम कायम रखे हैं आप, वहीं रहिए कृपया।

विवाद में ओवैसी भी कूदे, झा का पलटवार

मामले को लेकर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस आदेश को संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन बताते हुए सरकार पर निशाना साधा है। वहीं ओवैसी के बयान पर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड एक स्वायत्त संस्था है और यह फैसला कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए लिया गया वक्फ बोर्ड के पास ऐसी कोई ताकत नहीं है। ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार का वक्फ बोर्ड चाहता है कि जुमा में बयान देने से पहले खतीब अपने तकरीर की जांच वक्फ बोर्ड से करवायें और बोर्ड की इजाजत के बिना तकरीर ना दें। अब भाजपाई हमें बतायेंगे के दीन क्या है? अब अपने दीन पर चलने के लिए इनसे इजाजत लेनी होगी? वक्फ बोर्ड के पास ऐसी कोई कानूनी ताकत नहीं, अगर होती भी तो भी वो संविधान के दफा 25 के खिलाफ होती।