रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में बुधवार को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक होगी। इस बैठक में राज्य के मिलरों के चार हजार करोड़ रुपयों के बकाया पर भुगतान का निर्णय होने की संभावना है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की स्थिति की समीक्षा के साथ सोसाइटियों से धान के उठाव को लेकर चर्चा होने की संभावना है। विधानसभा का सत्र 16 तारीख से है। इस सत्र में लाए जाने वाले विधेयकों पर चर्चा संभावित है। 

बकाया का मामला है अहम

राज्य में धान की कस्टम मिलिंग करने वाले तीन हजार से अधिक मिलरों का पिछले दो साल का करीब चार हजार करोड़ रुपए बकाया है। इसमें से अधिकांश राशि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की है। बकाया राशि हासिल करने के लिए मिलर लंबे समय से परेशान हैं, सरकार से कई बार मांगे कर चुके हैं, लेकिन अब तक समाधान नहीं हो पाया है। इस बीच मिलरों ने नए खरीफ सीजन में धान की मिलिंग का विरोध शुरु कर दिया था। इसके बाद खुद मुख्यमंत्री श्री साय ने मिलरों से दो दौर की वार्ता करके उन्हें मिलिंग के लिए तैयार किया, इसी समय ये भरोसा भी दिलाया गया कि मिलरों को बकाया राशि अदा की जाएगी। माना जा रहा है कि बुधवार को होने वाली कैबिनेट में इस पर फैसला हो सकता है। इस बात की संभावना भी है कि मिलरों को बताया राशि एकमुश्त न देकर किस्तों में देने का रास्ता निकाला जाए। मिलरों में इस बात पर भी सहमति है। 

धान खरीदी की हो सकती है समीक्षा

इधर राज्य में 14 नवंबर से धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जारी है। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में अब तक की सबसे बड़ी बाधा ये है कि खरीदी केंद्रों से धान का उठाव मिलर नहीं कर रहे हैं। इस वजह से राज्य की करीब पौने दो हजार सोसायटी में धान का बफर स्टॉक हो गया है। सोसायटी वाले धान खरीदी बंद करने की चेतावनी दे रहे हैं, क्योंकि उनके पास खरीदे गए धान को रखने के लिए जगह नहीं बची है। दूसरी ओर राज्य भर से लगातार ये मांग उठ रही है कि धान का परिवहन कराया जाए। माना जा रहा है कि धान खरीदी की समीक्षा के दौरान इस संबंध में कोई निर्णय हो सकता है। इधर 16 दिसंबर से राज्य विधानसभा का सत्र है, इस सत्र में पेश किए जाने वाले विधेयको और संभावित अनुपूरक बजट के संबंध में चर्चा और निर्णय होने की संभावना है।