दक्षिण कौशल की राजधानी

सिरपुर पांचवी से आठवीं शताब्दी के मध्य दक्षिण कौशल की राजधानी थी। सिरपुर में सांस्कृतिक एंव वास्तुकौशल की कला का अनुपम संग्रह है। माना जाता है कि गौतम बुद्ध के काल के दौरान यह एक महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था, इसलिए आज भी यहां बौद्ध धर्म से जुड़े कई महत्वपूर्ण साक्ष्य देखे जा सकते हैं। यहां के मंदिर विशेष वास्तुकला को प्रदर्शित करते हैं। इतिहासकारों का मानना है कि 12 शताब्दी के दौरान यह स्थल भूकंप के चलते मिट्टी में दफन हो गया था, जिसे बाद में पुरातत्व विभाग की ओर से खुदाई के दौरान खोजा गया।

लक्ष्मण मंदिर

लक्ष्मण मंदिर

सिरपुर में कई आकर्षक प्राचीन मंदिरों को आप देख सकते हैं, जिसमें सबसे प्रमुख है लक्ष्मण मंदिर। ईंटों की बड़ी संरचना पर खड़ा लाल पत्थरों का यह मंदिर करीब 7 फुट ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है। लक्ष्मण मंदिर, जिसका निर्माण सन् 525 से 540 के बीच सोमवंशी राजा हर्षगुप्त के काल में हुआ था। रानी वासटादेवी हर्षगुप्त की पत्नी थी। राजा हर्षगुप्त की मृत्यु के बाद रानी ने उनकी याद में इस मंदिर का निर्माण कराया था। नागर शैली में बनाया गया यह मंदिर भारत का पहला ऐसा मंदिर माना जाता है, जिसका निर्माण लाल ईंटों से हुआ था। 12वीं शताब्दी में आए भीषण भूकंप में भी ये मंदिर अडिग रहा। 

बारनवापारा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी 

बारनवापारा वाइल्ड लाइफ

बारनवापारा की वाइल्ड लाइफ सेंचुरी छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। महासमुंद के उत्तरी भाग में स्थित करीब 245 वर्ग किमी में फैला बारनवापारा अभयारण्य छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाता है। ये अभयारण्य कई जंगली जानवरों की पनाहगाह है। यहां पक्षियों एवं तितलियों की भी काफी प्रजातियां देखने को मिलती है। जंगल के शानदार नजारे एवं घने जंगलों के बीच छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा संचालित रिसार्ट में रुकने की सर्व सुविधा युक्त व्यवस्था है।

पर्यटक ग्राम-हरेली ईको रिसोर्ट 

ईको रिसोर्ट 

अभयारण्य के मध्य में ही प्राकृतिक नजारों के बीच में ठहरने के भी शानदार इंतजाम किए गए हैं। पर्यटकों के रुकने के लिए बारनवापारा में पर्यटक ग्राम बना हुआ है एवं छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग की ओर से शानदार हरेली ईको रिसोर्ट बनाया गया है सुंदर सरोवर के पास स्थित है। 

बौद्ध विहार: प्राचीन व्यापार केंद्र

ईसा पूर्व छठवीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग सिरपुर आए थे। ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृत्तांत में एक व्यवस्थित और अतिविकसित राजधानी का जिक्र किया है, जहां से विदेशों से व्यापार किया जाता था। उन्होंने लिखा है कि यहां महानदी में एक बंदरगाह भी था जहां से जहाज के माध्यम से सामान निर्यात किए जाते थे। महानदी के तट पर बसा ये बाजार लगभग एक किलोमीटर लंबा था।

सुरंग टीला

सिरपुर नगर में प्रवेश करते ही सुरंग टीला मंदिर मौजूद है। यह मंदिर अपने निर्माण कला से सबको अचंभित कर देता है। 11वीं-12वीं शताब्दी में महानदी घाटी में आए भीषण भूकंप ने सिरपुर की पूरी बसाहट को तबाह कर दिया था, लेकिन यह मंदिर जस का तस वहीं खड़ा रहा। 

जंगल सफारी 

जंगल सफारी

बारनवापारा अभयारण्य घूमने के लिए जिप्सी की सुविधा है, जिसे अभयारण्य पहुंचकर यहां स्थित टिकट काउंटर से बुक करना होता है। एक जिप्सी की बुकिंग लगभग 1300 रुपए में होती है। गाइड के लिए अतिरिक्त लगभग 200 रुपए देने होते हैं। हर जिप्सी में एक गाइड अनिवार्य रूप से रहते हैं। 

संग्रहालय भी दर्शनीय 

संग्रहालय

लक्ष्मण मंदिर परिसर में भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा बनाए गए इस संग्रहालय में हिन्दू और बौद्ध धर्म से जुड़े साक्ष्यों को सहेजकर रखा गया है। संग्रहालय में सिरपुर से प्राप्त अनेक दुर्लभ प्रतिमाएं और स्थापत्य खण्ड संरक्षित कर रखी गई हैं, जो बौद्ध, हिंदू और जैन धर्म से संबंधित हैं।

ऐसे पहुंचे सिरपुर

ऐतिहासिक नगरी सिरपुर महासमुंद जिला मुख्यालय से करीब 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ का नजदीकी हवाईअड्डा रायपुर है, जहां से सिरपुर की दूरी लगभग 75 किमी है। महासमुंद रेलवे स्टेशन, नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जिसकी दूरी लगभग 40 किमी है। रायपुर जंक्शन से दूरी लगभग 83 किमी है।