जीवानंद हलधर- जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिले के नगरनार स्टील प्लांट से सटे हाई स्कूल में बच्चे जर्जर भवनों में पड़ने को मजबूर हैं। स्कूल की हालत देखकर काफी ख़राब हो गई है और भवन जर्जर हो गया है। बीते कई सालों से बच्चे इस गंभीर सामस्या को झेल रहे हैं और अब नए शिक्षा सत्र में भी इसे झेलने को मजबूर हैं। यहां तक की प्लांट से निकलने वाले डस्ट से शिक्षक और बच्चे दोनों ही गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। 

नगरनार प्लांट से निकलने वाले डस्ट और बदबू से बच्चे ही नहीं अपितु यहां पढ़ाने वाले शिक्षक भी काफी परेशान हैं। हर बार की विभागीय बैठक में यहां के शिक्षक अपने उच्च अधिकारियों इस मुसीबत से अवगत भी करा चुकें हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के कान में जूं तक नही रेंग रही है और बच्चों को ऐसे ही भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। प्लांट से लगे हाई स्कूल में 9वी से 12वी तक के 400 बच्चे स्कूल पड़ने आते हैं तो उन्हे शिक्षा कम और डस्ट खाने को ज्यादा मिलता हैं। सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक ये बच्चे अपने घर खांसते हुए अपने घर पहुंचते हैं। उनके गले मे प्लांट से निकलने वाला डस्त इतना चला जाता है कि, वे किसी न किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होते जा रहे हैं। 

मुंह बांधकर पढ़ाई करते हुए बच्चे

सरपंच बोले- कई बार कर चुके शिकायत, नहीं होती कार्रवाई 

इस समस्या को लेकर कई बार बच्चों और शिक्षकों ने विभागीय अफसरों और जिम्मेदारों से शिकायत भी की है। लेकिन उनकी समस्या को ना एनएमडीसी प्रबन्दन दूर कर रहा है और ना ही शिक्षा विभाग। इलाके के सरपंच भी इस गंभीर समस्या को लेकर कई बार अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं। लेकिन किसी ने ना उनकी सामस्या दूर की और ना ही बच्चो की तकलीफ देखने कोई आया।  

विधायक किरण देव बोले- जल्द ही लिया जायेगा ठोस निर्णय 

इस पूरे मामले को लेकर जगदलपुर विधायक किरण देव ने कहा कि, मामला बच्चो के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है और जल्द ही इस पर कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा। यहां पढ़ने वाले सभी बच्चों का जल्द ही स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया जाएगा। 

प्रिंसिपल भी डस्ट की चपेट में आकर हुईं बीमार 

आपको बता दे कि, एनएमडीसी प्लांट से लगे हाई स्कूल प्लांट के डस्ट से सांस लेने और गले मे फंगस की दिक्कत होती है। खुद यहां की प्रिंसिपल भी चपेट में आ गई है और उनका हैदराबाद में इलाज भी चल रहा है। ऐसे में अब बच्चो और शिक्षको यही उम्मीद हैं कि, प्रशासन और एनएमडीसी प्रबंधन इस मामले को गंभीरता से लेगा और बच्चों की समस्याओं का निराकरण करेगा।