धमतरी। रविवार को निरई माता के जात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। लाखों लोगों की भीड़ में यहां एक भी महिला या बच्ची नजर नहीं आई। यहां तक  कि महिला पुलिसकर्मी की भी ड्यूटी नहीं लगाई गई। तड़के 4 बजे से माता को विशेष मन्नत देने अपने अपने साधनों से श्रद्धालु निरईमाता के दरबार पहुंचने लगे। सुबह 8 बजे तक मातास्थल के एक किमी की परिधि में भीड़ इतनी उमड़ गई कि पैर रखने की जगह नहीं रही। मां निरई की दिव्य ज्योति स्थल पहाड़ी के गुफा रास्ते में इस कदर रेला लगा रहा कि अनेक लोग गुफा तक पहुंचने से पहले वापस लौटे गए। बलि देने के लिए अलग-अलग दो देवस्थानों को लकड़ियों की बल्लियों से घेरा गया था। यहां पर अपने अपने बकरों के साथ सैकड़ों लोग कतार में खड़े रहे।

साल में एक बार होता है माता का दर्शन 

मगरलोड ब्लाक के ग्राम मोहेरा में मां निरई माता का जात्रा परम्परानुसार धूमधाम से मनाया गया। साल में एक बार चैत्र नवरात्रि के प्रथम रविवार को माता निरई का दर्शन होता है। निरई माता सेवा समिति के पदाधिकारी नेमलाल साहू ने बताया कि मान्यता है कि मन्नत पूरी होने पर या मनोकामना की पूर्ति के लिए मां निरई के दरबार में लोग बकरे की बलि चढ़ाते हैं। माता की श्रृंगार, कुमकुम से पूजा नहीं होती है। नारियल और अगरबत्ती से पूजा की मान्यता है। 

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एकलौता देवी स्थल, जहां महिला प्रतिबंधित 

माता निरई सेवा समिति से प्राप्त जानकारी के अनुसार निरई माता अपने भक्त को बेटे की तरह बैठाकर खाना खिलाती थी, जिस पर भक्त की पत्नी को मंशापाप हुआ। उसने माता को अपशब्द कह दिया, तब माता निरई नाराज होकर अपने दरबार तक किसी भी महिला को नहीं आने का श्राप दे दिया। तब से माता निरई के जात्रा में कोई महिला नहीं जाती। बताते हैं कि प्रदेश में निरई माता का ही ऐसा दरबार है, जहां महिला प्रतिबंधित है। यहां नवरात्रि के प्रथम रविवार को बलि देने की परम्परा है।