दीपों का त्यौहार जगमग करता आ ही गया। दिवाली के स्वागत की तैयारियां अब पूरी होने पर हैं। सबके घरों की साफ सफाई पूरी हो गईं। चादरें,पर्दे, घर आंगन सब कुछ धुल चुके हैं। नए दीपक और बातियां ले लिए गए हैं। पूरे परिवार के नए कपड़े तैयार हैं.. बच्चों ने मनपसंद पटाखे ले लिए, और मम्मियों ने रंगोलियों के लिए रंगों को छान कर सुखा लिया। सबके घरों से पकवानों की भीनी सुगन्ध उठ रही है.. कहीं मोहनथाल और लड्डू बन रहे हैं। तो कहीं मठरियों और चाकोली के कनस्तर भर चुके। कितनी रौनक लगी है चारों तरफ। सचमुच, दीवाली है ही ऐसा त्यौहार। हर कोई इसे अपनी तरह से मनाता है। बच्चों की दिवाली की छुट्टियां भी लग गईं हैं और मनपसंद मिठाइयां भी घर पर तैयार हैं। वो अनार, फुलझड़ी और सुतली बम के लिए मचलते हैं। बचपन खिल सा उठा है.. घर के बुजुर्गों के चेहरे खुशी से चमक रहे हैं। चहल–पहल बढ़ जो गई है। सब का मिलने के लिए आना–जाना लगा हुआ है..  बहुत से बच्चे पढ़ाई और नौकरी के सिलसिले में दूसरे शहरों में रहते है.. धनतेरस से पहले, वे सब भी समय से घर आ गए.. त्यौहार तो भई अपनों के साथ ही अच्छे लगते हैं. फिर दीपावली, यह तो साल का सब से बड़ा त्यौहार ठहरा. पूरे पांच दिन चलेगी यह धूमधाम.. और इस धूमधाम की शुरुआत धनतेरस से.. 

दोस्तों, पांच दिनों की दीपावली होती है। लेकिन बहुत सी जगहों पर दीवाली का अर्थ केवल लक्ष्मी पूजन से जोड़ कर देखा जाता है.. पर यदि जरा गौर से देखें तो हम पाएंगे कि हमारे त्यौहार कितनी संपूर्णता और वैज्ञानिक सोच से भरपूर हैं..और दीपावली ..इसमें सबसे आगे। धनतेरस से शुरू और भाईदूज पर पूर्ण होने वाला पांच दिनों का विशाल उत्सव. और इस उत्सव में  ईश्वर, प्रकृति, रिश्ते, सामाजिक जीवन के कर्तव्य और स्वयं के आध्यात्मिक विकास तक सब कुछ तो शामिल है. और वह भी सिलसिलेवार तरीके से। 

आकांक्षा प्रफुल्ल पाण्डेय

 सबसे पहले दीपावली महापर्व का शुभारंभ धनतेरस। इस दिन सारे विश्व में चर और अचर के सम्पूर्ण स्वास्थ्य की कामना की जाती है। आरोग्य और औषधियों के देवता श्री धनवंतरी भगवान् की पूजा का दिन है यह..  देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन की कहानी तो हम सब ने सुन रखी है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी का दिन, इस तिथि को हम सब धनतेरस के नाम से भी जानते हैं। इस दिन अपने हाथों में, अमृत से भरा कलश लिए हुए, साक्षात् भगवान् धनवंतरी प्रगट हुए थे। सारी सृष्टि धनवंतरी के स्वागत में नतमस्तक हुई..

          ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः

उस दिन से आज तक, धनतेरस पर श्री धनवंतरी का प्रागट्य उत्सव मनाने की परम्परा है। इस दिन श्री धनवंतरी जी का षोडशोपचार पूजन  किया जाता है। यदि घर में किसी तरह की दवाइयां या औषधियां हैं, तो धनवंतरी का स्मरण कर इन औषधियों को भी दीप दिखाए जाते हैं। पूरे परिवार और संसार के आरोग्य की कामना धनतेरस के दिन सभी करते हैं। और भगवान् धनवंतरी की कृपा दृष्टि की प्रार्थना की जाती है.. दोस्तों आप सबने अपने घर में दादीयों या नानीयों को धनतेरस की शाम को,  तेरह दिए रखते ज़रूर देखा होगा. वे सभी दिए, श्री धनवंतरी के स्वागत, और सम्पूर्ण आरोग्य के लिए प्रज्ज्वलित किए जाते हैं. इसी दिन से श्री महालक्ष्मी पूजन के लिए कलश रखे जाते हैं, जो अगले पांच दिन निरंतर प्रज्ज्वलित होंगे।

दोस्तों हम सभी धनतेरस को खरीदारी के लिए शुभ मानते हैं। धनतरेस एक अबूझ मुहूर्त है। इस दिन कोई भी काम करने के लिए मुहूर्त या चौघड़िया देखने की जरूरत नहीं। महालक्ष्मी के पर्व की शुरुआत है.. जो भी काम इस दिन किए जाते हैं वे अक्षय हो जाते हैं। इसलिए पूजा, और सद्कर्म जरूर निभाने चाहिए। इसी कारण धनतेरस पर खरीदारी करना भी अत्यधिक शुभ–सौभाग्य लाता है। लक्ष्मी जी से जुड़ी चीजें खरीदी जाती हैं। लक्ष्मी माता वहीं स्थाई निवास करती हैं जहां साफ़ सफाई हो। इसलिए झाड़ू लक्ष्मी का रूप माना जाता है। घर के अन्नपूर्णा के भण्डार भरे रहें, इसलिए अपनी शक्ति अनुसार चांदी, कांसे या तांबे के बरतन खरीदना। यह भण्डार जागृत रहे इसलिए नमक और मसाले की खरीदारी। और दोस्तों धनतेरस पर महिलाओं का सबसे पसंदीदा काम.. सोने के गहने खरीदना। महिलाओं को गृहलक्ष्मी कहा गया है.. स्वर्ण आभूषणों से सजी हुई गृहलक्ष्मियां दीपावली पर आनन्द से भरी हुईं.. कुल मिला कर बच्चों से लेकर बड़ों तक हर एक दीवाली पूरी जगमग जगमग..यह जगमगाहट हम सब के जीवन में बनी रहे... 

दीवाली के इन सारे भावों को समेटती एक छोटी सी कविता है..

बम, फ़टाके, चकरी, अनार, फुलझड़ियों की है लड़ियां 
घर भी रंग गया, हम भी रंग गए, खुशियों की है घड़ियां

दीपों की जगमग है, घर रौशनी से झिलमिल हुए
कितनी तरंगें तन में, कितनी उमंगे मन में लिए

श्रद्धा के तारों ने जीवन की वीणा में
सरगम है गाई, सरगम है गाई
लो आई, दिवाली आई
लो आई दिवाली आई

दिवाली पांच दिन के संस्कारों वाली
खुशियों और आशीर्वादों से हमने सजा ली

दीपों की जगमग है, घर रौशनी से झिलमिल हुए
कितनी तरंगें तन में, कितनी उमंगे मन में लिए

श्रद्धा के तारों ने जीवन की वीणा में
सरगम है गाई, सरगम है गाई
लो आई, दिवाली आई
लो आई दिवाली आई

और इसके साथ ही हम सब की तरफ से आप सभी को धनतेरस और दीपोत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं... 

✍️ आकांक्षा प्रफुल्ल पाण्डेय 
      बिलासपुर