रायपुर। सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट प्रेक्टिस पर विभागीय स्तर पर की जा रही सख्ती के साइड इफेक्ट सामने आने लगे हैं। दुर्ग के शासकीय मेडिकल कॉलेज के आधा दर्जन विभागाध्यक्षों द्वारा नौकरी से इस्तीफा देने की खबर है। इसके साथ ही कॉलेज के तीन सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी अपना त्यागपत्र सौंपा है। उनका कहना है कि विभागीय आदेश मरीजों की परेशानी कारण बनेगा। इसके पूर्व डीके अस्पताल से दो सुपर स्पेशलिटी डॉक्टर नौकरी छोड़ चुके हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग नॉन प्रेक्टिस एलाउंस लेने के बाद भी  निजी अस्पतालों में सेवा देने वाले सरकारी डॉक्टरों पर सख्ती बरत रहा है। इसके तहत उनके द्वारा आयुष्मान योजना में अनुबंधित तमाम निजी अस्पतालों से शपथपत्र मांगा जा रहा है कि उनके संस्थान में कोई शासकीय डॉक्टर सेवारत नहीं है।

शपथपत्र के बाद अगर सरकारी चिकित्सक के वहां सेवा देने की बात सामने आती है, तो संबंधित अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में पिछले दिनों प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले शासकीय डॉक्टरों ने आईएमए के नेतृत्व में एकजुटता दिखाई थी।पिछले दिनों डीके अस्पताल में कार्यरत दो सुपर स्पेशलिटी डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ दी थी और राजधानी के निजी अस्पतालों में अपनी ज्वाइनिंग दी थी। इसके बाद शासकीय मेडिकल कॉलेज दुर्ग के आधा दर्जन सीनियर डॉक्टर और तीन सीनियर रेजिडेंट द्वारा सेवा से त्यागपत्र देने का मामला सामने आया है, जिससे विभागीय हड़कंप मच गया है। मामले में विभागीय साइड इफेक्ट को रोकने के लिए विभागीय मंथन भी शुरू कर दिया गया है।

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चिकित्सकीय हुनर होगा बाधित 

पिछले दिनों इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नेतृत्व में शासकीय चिकित्सकों की बैठक हुई थी। इसमें हवाला दिया गया था कि उनकी प्राइवेट प्रेक्टिस मरीजों के हित में है। कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए निजी और शासकीय सेक्टर आपस में जुड़े हुए हैं। सोशल मीडिया में वायरल एक चिकित्सक के इस्तीफे में इस बात का जिक्र है कि निजी अस्पताल में आधुनिक उपकरण और ज्यादा कर्मचारियों के बीच सेवा देना बंद करने से उसका चिकित्सकीय हुनर बाधित होगा जिससे मरीजों की परेशानी होगी।

इन डॉक्टरों का इस्तीफा

जानकारी के अनुसार,  डॉ. चंदूलाल चंद्राकर स्मृति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में कार्यरत पीडियाट्रिक विभाग के एचओडी डॉ. रूपेश कुमार अग्रवाल, सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. नवील शर्मा, एचओडी एनीस्थिसिया डॉ. कौशल, विभाग के ही डॉ. नरेश देशमुख, रेडियो डायग्नोसिस विभागाध्यक्ष डॉ. समीर कटारे, स्त्री एवं प्रसूति रोग एचओडी डॉ. अंजना, अस्टिटेंट प्रोफेसर डॉ.करन चंद्राकर, एचओडी मेडिसिन डॉ. सिंघल तथा सीनियर रेजिडेंट डॉ. मिथिलेश यदु के
इस्तीफे की चर्चा है।

समझाने का प्रयास कर रहे

चिकित्सा शिक्षा संचालक डॉ. यूएस पैकरा ने बताया कि, जहां तक जानकारी है कि उन्होंने सेवामुक्त होने के लिए नोटिस दिया है। चिकित्सकों को समझाने का प्रयास किया जा रहा है। इस बारे में और ज्यादा जानकारी अभी नहीं दे सकता।