नौशाद अहमद-सूरजपुर। पूरे देश में चैत्र नवरात्रि और रामनवमी का महापर्व धूमधाम से मनाया जाता है। देवी मंदिरों में ज्योति कलश की स्थापना की जाती है। जौ बोए जाते हैं और नौ दिनों तक विधि- विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु देवी मंदिर पहुंचते हैं और माता रानी का आशीर्वाद लेते हैं। दिन-रात माता रानी की सेवा की जाती है। जसगीतों और भजन-कीर्तन से भक्तिमय माहौल रहता है।
वहीं नवरात्र के पहले दिन से ही सूरजपुर के कुदरगढ़ देवी धाम में भक्तों का तांता लगा हुआ है। चैत्र नवरात्र के पावन अवसर पर यहां 15 दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। छत्तीसगढ़ का सूरजपुर जिला चारों ओर से ऊंचे पहाड़ों और वनों की हरियाली से घिरा हुआ है। यह स्थान प्राकृतिक छटाओं और कई प्राचीन धार्मिक स्थल के लिए प्रसिद्ध है। उन स्थलों की अपनी रोचक कहानियां और मान्यताएं हैं। इन्हीं में से एक है कुदरगढ़ का मां बागेश्वरी धाम। तकरीबन एक हजार फीट से ज्यादा ऊंची पहाड़ी पर मां विराजमान हैं। माता के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर पहुंचते हैं।
दूर-दूर से मन्नत लेकर पहुंचते हैं श्रद्धालु
यूं तो 12 महीने मां बागेश्वरी धाम में भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन चैत्र नवरात्रि और रामनवमी के अवसर पर छत्तीसगढ़ से ही नहीं बल्कि अलग-अलग राज्यों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी मन्नत लेकर पहुंचते हैं। जानकारी के अनुसार माता के दरबार में लगभग 50 हजार से ज्यादा बकरों की बलि दी जाती है। इस दौरान कई लोगों पर देवी स्वयं सवार होती है और गाने-बाजे की धुन में झूमकर उत्सव मनाती हैं। बड़े स्तर पर भंडारे का आयोजन किया जाता है। मेले में हर तरह का स्टॉल और झूले लगाए जाते हैं। हवन-पूजन के बाद स्थापित किए गए जंवारे का विसर्जन किया जाता है।