बेमेतरा। छत्तीगसढ़ के बेमेतरा जिले के प्रशिक्षण संस्थान डाइट में योग शिक्षा उन्मुखीकरण का पांच दिवसीय आयोजन किया गया। यह आयोजन एससीईआरटी के निर्देशानुसार में प्राचार्य जे के घृतलहरे के मार्गदर्शन में यह आयोजन किया गया। आयोजन के अंतिम दिन योग के प्रशिक्षार्थियों ने शिवरीनारायण और महान संत गुरुघासी दास की तपोभूमि गिरौदपुरी का शैक्षणिक भ्रमण किया ।
प्राचार्य जे के घृतलहरे ने कहा कि, योग ही हम सबके जीवन का आधार है। अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमें पूरे दिन में कम से कम एक घंटे का समय शरीर को देना आवश्यक है। अंतिम दिवस योग उन्मुखीकरण कार्यक्रम के सभी प्रतिभागियों को शैक्षणिक भ्रमण के अंतर्गत माता शबरी की जन्मस्थली शिवरीनारायण और महान संत गुरुघासी दास की तपोभूमि गिरौदपुरी का शैक्षणिक भ्रमण कराया गया। संस्थान के प्राचार्य जे के घृतलहरे ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र और योग से सम्बन्धित साहित्य भी प्रदान कर उनका सम्मान किया गया।
बैगलेस डे के दिन बच्चों को कराएं योग प्राणायाम
प्राचार्य जे के घृतलहरे ने कहा कि, भाग दौड़ भरी जीवन में मन को शांत रखने के लिए योग की अत्यंत आवश्यक है। विद्यालयों में योग को कैसे प्रभावी बनाएं और विद्यालय के बच्चों तक इसे कैसे पहुंचाएं। इस पर आज कार्य करने की अत्यंत आवश्यकता है। योग और खेलों के माध्यम से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास कैसे होता है। योगासन और प्राणायाम को समय सारणी में समायोजित करें। बैगलेस डे के दिन बच्चों को नियमित रूप से योग प्राणायाम कराएं।
सत्य और अहिंसा का प्रतीक है जैतखाम
उन्होंने ने कहा कि, पावन तीर्थ स्थल गिरौदपुरी धाम छत्तीसगढ़ के बलौदाबाज़ार ज़िले में स्थित एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह सतनामी पंथ के संस्थापक गुरु घासीदास की जन्मस्थली है। इस धाम में कई पवित्र स्थल हैं, जिनमें जैतखाम, चरण कुंड, अमृत कुंड, पंचकुंडी, और छाता पहाड़ शामिल हैं। यह पावन गिरौदपुरी धाम महान संत गुरुघासी दास जी की तपोभूमि है। यहां गुरु घासीदास जी के उपदेशों और विचारों का प्रचार होता है। गिरौदपुरी धाम में हर साल बड़ा मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। यह धाम छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यहां जैतखाम सत्य और अहिंसा का प्रतीक है।
त्रिवेणी संगम में साधु-संत करते हैं शाही स्नान
प्राचार्य जे के घृतलहरे ने कहा कि, महानदी के तट पर बसे शिवरीनारायण नगर में 11 शताब्दी में हैं। वंश के राजाओं के द्वारा लक्ष्मी नारायण मंदिर बनाया गया। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, रामायण के समय से यहॉ शबरी आश्रम स्थित है। यह माता शबरी की जन्मस्थली है। शिवरीनारायण मंदिर में वैष्णव समुदाय द्वारा वैष्णव शैली की अदभुत कलाकृतियॉ देखने को मिलती है। माघी पूर्णिमा के समय शिवरीनारायण में विशाल मेला लगता है, जो छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा मेला है। इसमें उड़ीसा, झारखंड, मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों के लोग आते हैं। माघी पूर्णिमा के दिन त्रिवेणी संगम में शाही स्नान साधु-संत करते हैं।
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कार्यक्रम का समापन जिला नोडल अधिकारी ने किया
डाइट के व्याख्याता और योग शिक्षा उन्मुखीकरण कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी थलज कुमार साहू ने समापन समारोह कार्यक्रम का संचालन किया। इस योग शिक्षा उन्मुखीकरण प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर्स के रूप में भरत लाल साहू, दीपक कुमार यादव, रंजीता वर्मा, नीलिमा साहू ने बहुत सुंदर ढंग से प्रशिक्षण प्रदान किया।
शिक्षक-शिक्षिकाओं ने किया शैक्षणिक भ्रमण
प्रशिक्षार्थियों के रूप में रामकुमार साहू, गोपेश्वरी साहू, अनिता भैना, शालिनी कुर्रे, सोमप्रभ श्रीवास, विजय पांडेय, वंदना लाउत्रे, प्रमिला गजपाल, उषा मानिकपुरी, मनीषा पुरैना, अखिलेश बनाफर, हेमंत साहू, देवकुमारी चतुर्वेदी, बाल हरि देवांगन, शंकर लाल साहू, पालेश्वर पटेल सहित चारों विकासखंड के शिक्षक -शिक्षिकाएं शैक्षणिक भ्रमण में गए थे।